वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है. इसकी वजह से लोग घरों में कैद हैं और सब कुछ ठप पड़ा हुआ है. कई कॉलेज छात्रों को अपनी पढ़ाई, प्लेसमेंट और भविष्य की चिंता सता रही है.
भारत में बेरोजगारी दर 45 सालों में सबसे ऊंचे स्तर पर रिकॉर्ड की गई . छात्रों को डर सता रहा है कि लॉकडाउन का असर उनके प्लेसमेंट पर भी पड़ेगा.
अभी, मैं कोरोनोवायरस की वजह से घर में हूं. मैं कोलकाता में अपना ग्रैजुएशन प्रोजेक्ट कर रही थी. 22 अप्रैल से हमारा प्लेसमेंट होना था. मुझे नहीं पता कि अब क्या होने वाला है, क्या कंपनियां जॉब प्लेसमेंट के लिए आएंगी? कितनी कंपनियां आएंगी? क्या प्लेसमेंट टाल दिया जाएगा? क्या उन्हें रद्द किया जाएगा?किंशुक शंकर, फाइनल ईयर छात्र, NIFT, पटना
छात्र जहां इस बात को लेकर डे हुए हैं, वहीं एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी.
मेरे ग्रैजुएशन (1998-2000) के समय भारत के लिए काफी मुश्किल समय था. उस समय पोखरण टेस्ट और कारगिल युद्ध हुआ था. पोखरण की वजह से पूरी दुनिया ने हमारी आलोचना की थी, कई बंदिशें लगाई गईं और उसकी वजह से जॉब मार्केट को बड़ा नुकसान हुआ. कारगिल युद्ध के बाद जैसा हुआ था वैसे ही प्लेसमेंट प्रभावित होंगे.ईश्वरन अय्यर, CEO, विकास विद्यानिकेतन
सरकार ने लॉकडाउन से इकनॉमी पर होने वाले शॉर्ट टर्म असर से निपटने के लिए कुछ घोषणाएं की हैं
लेकिन लॉन्ग टर्म असर से निपटने के लिए उपाय बाकी हैं. ऐसे में इन छात्रों के भविष्य को लेकर सवाल बने हुए हैं.
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