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दिल्ली: सीलिंग,मंदी ने किया बेरोजगार- गांधी नगर ग्राउंड रिपोर्ट

गांधी नगर: सीलिंग ड्राइव से बेरोजगार हुईं महिलाएं, किसे करेंगी वोट?

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा और संदीप सुमन

कैमरा: आकांक्षा कुमार

दिल्ली के गांधी नगर में रहने वालीं 30 साल की आशा पिछले 6 महीने से बेरोजगार हैं. आशा का काम एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में नए बने कपड़ों के पैकेज में मदद करना था, और प्रति माह वो 7,000 रुपये कमा लेतीं थीं. लेकिन वो अब अपने आस-पास काम के मौके तलाशती रहती हैं.

आशा अकेली नहीं हैं- पूर्वी दिल्ली के इस निर्वाचन क्षेत्र में कई महिलाएं काम पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं क्योंकि एमसीडी की सीलिंग ड्राइव के दौरान स्थानीय कारखाने बंद कर दिए गए और तब से इन महिलाओं के लिए रोजगार के मौके भी नहीं बचे.

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गांधी नगर में, जिसे एशिया का सबसे बड़ा रेडीमेड कपड़ा बाजार माना जाता है, यहां सैकड़ों महिलाएं हेल्पर के तौर पर काम करती हैं. कारखानों में ये जीन्स की लंबाई स्कैन करना, टांके लगाने जैसे छोटे-मोटे काम कर गुजारा करती हैं.

2016 में अपने पति के साथ कानपुर से दिल्ली आईं 27 साल की सपना वर्मा भी पिछले कुछ महीनों से नौकरी की तलाश कर रही हैं. साथ ही मंदी को भी वो बेरोजगारी की वजह मानती हैं.

“हमारे लिए 3000-4000 रुपये बहुत थे क्योंकि मेरे पति के पास भी नौकरी है. 4,500 रुपये हमारे कमरे का किराया है, इसलिए, जब मैं पहले काम करती थी तो सब संभल जाता था. अब तो पूरे बाजार में मंदी है, इसलिए शायद ही कोई काम मिले. ”
सपना वर्मा
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सीलिंग ड्राइव की वजह से गुस्सा और लाचारी सिर्फ महिलाओं के बीच ही नहीं है, बल्कि स्थानीय व्यापारिक समुदाय के बीच भी है.

“हर दिन, ये लोग सीलिंग के नाम पर कागजात लेकर आते हैं. हम कानून का पालन कर रहे हैं, हमारे लिए नौ लोग काम कर रहे हैं और 11 किलोवाट से कम बिजली की खपत करते हैं. फिर भी, वे हमें काम नहीं करने देते. ”
सुशील जैन, व्यापारी

यहां लोगों के बीच एमसीडी की सीलिंग ड्राइव को लेकर नाराजगी है और चुनावी मुद्दा भी. इन मुद्दों के बीच यहां की महिलाएं और वोटर किसपर करेंगे भरोसा? देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट.

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