11 साल का एक बच्चा देश की मदद करता है. उसके मां-बाप नहीं हैं. वो सड़कों पर गुब्बारे बेचता है. एक आतंकी वारदात के बाद इसी मासूम की मदद से पुलिस स्केच बनाती है और कुछ समय के भीतर आतंकियों तक पहुंचने में कामयाब हो जाती है. ऐसे बच्चे का आप क्या करेंगे? जाहिर है, उसे इनाम-इकराम से लाद देंगे. उसकी पढ़ाई-लिखाई कराएंगे. उसे इस देश का एक लायक नागरिक बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करेंगे.
लेकिन अगर हम आपसे कहें कि 10 साल बाद वो बच्चा एक बार फिर उसी सड़क पर है जिससे वो उठा था, तो यकीनन आप चौंक जाएंगे.
बच्चे का नाम है राहुल. 13 सितंबर 2008 को जब दिल्ली, सीरियल ब्लास्ट से दहल उठी थी, तब राहुल ने ही पहला अहम सुराग दिया था. 11 साल के राहुल ने पुलिस को बताया कि किस तरह उसने आतंकियों को डस्टबिन में बम प्लांट करते देखा और स्केच बनवाने में मदद की.
राहुल की कहानी आपकी आंखों में आंसू ला देगी. राहुल की आपबीती समझने के लिए देखें वीडियो.
कैमरामैन: शिव कुमार मौर्य, अतहर
एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
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