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गांवों की ये आधी आबादी योजनाओं के ऐलान सुनती हैं, फायदा नहीं मिलता

2019 के लोकसभा चुनाव से ग्रामीण महिलाओं की उम्मीद और शिकायतें क्या हैं?

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

वीडियो प्रोड्यूसर: कौशिकी कश्यप

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लोकसभा चुनावी कवरेज के लिए क्विंट की टीम यूपी के मुजफ्फरनगर पहुंची. यहां जड़ौदा गांव में खास चौपाल का आयोजन किया गया. ये चौपाल इसलिए खास है क्योंकि इस चौपाल में सिर्फ महिलाओं ने हिस्सा लिया. वैसी ग्रामीण महिलाएं जिनकी बातें और जिनके मुद्दे कम ही उठा करते हैं. हमने इन महिलाओं से जाना कि ये चुनाव इनके लिए कितना खास है और इन महिलाओं की उम्मीद और शिकायतें क्या हैं?

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प्रधानमंत्री की उज्ज्वला स्कीम से लेकर नोटबंदी के मुद्दे महिलाओं के इस चौपाल में चर्चा के विषय रहे. मुजफ्फरनगर की स्थानीय पूजा एक फैक्ट्री कर्मचारी हैं, उज्ज्वला स्कीम को लेकर जब इनसे पूछा गया कि क्या इन्हें उज्ज्वला का लाभ मिला तो पूजा ने कहा-

3 बार फॉर्म भर चुके हैं. इस बार भी फॉर्म भरा लेकिन हमें गैस नहीं मिला. वो कहते हैं फॉर्म भर दिया गया है, महीने भर बाद गैस आ जाएगा. हमने मॉल से गैस खरीदा. छोटा सिलेंडर है 8 दिन के लिए भरवाते हैं वो खत्म होता है, फिर भरवाते हैं. 
पूजा, फैक्ट्री कर्मचारी

उज्जवला स्कीम के तहत लाभ उठा न पाने वाली सिर्फ एक पूजा ही नहीं हैं और भी कई महिलाएं हैं जिन्हें इन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आसमां जो पेशे से एक टेलर हैं कहती हैं कि उन्हें भी गैस चूल्हा नहीं मिला.

हमें गैस चूल्हा नहीं मिला, फॅार्म भी भरा 3-4 बार लेकिन आजतक नहीं आया. राशन कार्ड के लिए भी नाम नहीं चढ़ाते. “इंटरनेट पर आपका नाम नहीं है, ससुर का नाम नहीं है” ये बोलकर नाम नहीं चढ़ाते.
आसमां, टेलर
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नोटबंदी को लेकर महिलाएं सरकार से नाराज दिख रही हैं. उनका कहना है कि उन्होंने 2014 में मोदी सरकार को वोट किया था और ये सोच कर वोट किया था कि सरकार उनका काम करेगी लेकिन अब महिलाओं का नोटबंदी को लेकर कहना है कि 'नोटबंदी में मोदी जी ने लट्ठ बजवा दिए'!

नोटबंदी में औरतें लाइन लगाकर, चक्कर खाकर गिर रही थीं. औरतें सुबह से छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर निकल गईं शाम तक रुकती थीं लेकिन पैसे नहीं निकलते थे. चक्कर खा-खाकर औरतें गिर रही थी, इतना बुरा हाल किया मोदी जी ने, बहुत फर्क पड़ा है नोटबंदी से औरतों के 200-400 रुपये रखे थे उनकी पोल खुल गई. 
आसमां, टेलर

नोटबंदी को लेकर पूजा का कहना है कि उन्होंने बेटी की शादी के लिए पैसे रखे थे.

कई महिलाओं का कहना था कि जीरो बैलेंस अकाउंट सरकार के कहने पर तो उन्होंने खुलवा लिए लेकिन उसमें पैसे नहीं जमा हो पाए.

मोदी जी ने जीरो बैलेंस खाता खुलवाया था. घर-घर, बच्चों-बूढ़ों के खाते खुलवा दिए जो चल नहीं सकते उनके भी खाते खुले. आज 5 साल हो गए अभी तक उसमें फूटी कौड़ी नहीं जमा हो पाई और वो बंद हो गए. 
पूजा, फैक्ट्री कर्मचारी

जड़ौदा गांव की ग्रामीण महिलाओं से बातचीत में साफ नजर आया की उन तक सरकारी योजनाओं के ऐलान तो पहुंच गए लेकिन फायदा नहीं पहुंचा. उनके प्रमुख मुद्दों में गैस सिलेंडर का लाभ, सुरक्षा की चिंता, शौचालय की सुविधा शामिल हैं.

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