वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
- किसान- मजदूरों के 15 करोड़ खातों में 5-5 हजार रुपये डाले जाएं
- मनरेगा वर्करों को 30 दिन का एडवांस भुगतान हो
- फसल ऋण पर एक साल का ब्याज माफ करें बैंक
- सरकार मंडियों पर दबाव कम करने के लिए उठाए कदम
कोरोना लॉकडाउन से किसान और खेतिहर मजदूर को बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए मंडियों से मनरेगा तक बड़ी राहत की जरूरत है. ये कहना है कृषि और किसानों के मामलों के जानकार और भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ का.
क्विंट हिंदी से खास बातचीत करते हुए जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत किसानों के खातों में दो-दो हजार रुपये डालकर अच्छा काम किया है. लेकिन मौजूदा नुकसान को देखते हुए और बहुत किए जाने की जरूरत है.
‘राज्य करें केंद्र की गाइडलाइन लागू’
3 मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन 2.0 के दौरान 20 अप्रैल से किसान-मजदूरों को दी गई छूट का जाखड़ ने स्वागत किया है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक कृषि संबंधी गतिविधियां जैसे फसल और कृषि उत्पादों की खरीद, कटाई और बुआई की मशीनों की आवाजाही, मछली पालन और पशुपालन से जुड़ी चुनिंदा गतिविधियां, डेरी उत्पादों की शहरी इलाकों तक आवाजाही जैसी चीजें छूट के दायरे में आती हैं. जाखड़ के मुताबिक राज्य सरकारों को इन दिशानिर्देशों पर अमल करना चाहिए.
‘मंडियों में भीड़ हो कम’
जाखड़ के मुताबिक
इन दिनों फसल कटाई का काम जोरों पर है. किसान फसल काटते ही मंडियों में लेकर आता है क्योंकि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है. लेकिन मंडियों में भीड़ कोरोना के फैलने की वजह बनेगा. हरियाणा और पंजाब सरकारों ने केंद्र सरकारों से अपील की है कि अगर किसान जून के महीने में अपनी फसल लेकर आते हैं तो उन्हें अतिरिक्त भुगतान होना चाहिए.अजय वीर जाखड़, अध्यक्ष, भारत कृषक समाज
जाखड़ कहते हैं कि ‘अलग-अलग वक्त पर किसानों के मंडियों में आने से मंडियों में भीड़ कम होगी और कोरोना वायरस के संक्रमण पर भी लगाम कसेगी. केंद्र सरकार ने इस पर आज तक कोई जवाब नहीं दिया है.’
किसान-मजदूरों को आर्थिक राहत
जाखड़ के मुताबिक लॉकडाउन की दिक्कतों से राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार को किसान और खेतिहर मजदूरों के 15 करोड़ खातों में 5-5 हजार रुपये फौरन डालने चाहिएं.
जाखड़ सरकार से गुजारिश करते हैं कि
बहुत से मनरेगा मजदूरों का भुगतान अदायगी बकाया है. भुगतान के साथ-साथ सरकार को पिछले एक साल में मनरेगा के तहत करने वाले मजदूरों के खाते में एक महीने की एडवांस राशि भी डाल देनी चाहिए. बैंकों को फसल ऋण पर एक साल का ब्याज माफ करने के साथ कर्ज की री-स्ट्रक्चरिंग भी करनी चाहिए.अजय वीर जाखड़, अध्यक्ष, भारत कृषक समाज
नुकसान सिर्फ अनाज उगाने वाले किसानों का ही नहीं है. दूध और उससे जुड़े डेरी उत्पादों की मांग जबरदस्त तरीके से कम हुई है. कोरोना के डर से चिकन और अंडों की मांग में कमी आई है. स्पलाई चेन के टूटने की वजह से फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है.
जाखड़ के मुताबिक देश के ‘अन्नदाता’ के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर बहुत कुछ करने की जरूरत है.
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