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कोरोनावायरस: लॉकडाउन के इस दौर में सुपरहीरो बनिए, घर पर ही रहिए

लॉकडाउन के इस दौर में अभिनव नागर की कविता

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किसने सोचा था कि किसी की समझदारी इस बात में झलकेगी कि वो घर पर बैठा हुआ है और किसी के संपर्क में नहीं आ रहा है. यानी सोशल डिस्टेंसिंग बना रहा है. खैर, कोरोनावायरस की वजह से घर पर रहना आज के दौर में सबसे समझदारी वाली बात है. आपका लैपटॉप और आपका सोफा ही इस महामारी से लड़ने में आपके सबसे बड़े हथियार हैं. इसलिए, घर पर रहें और दुनिया के लिए सुपरहीरो बनें.

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तू... हां तू, सबकी जान बचाएगा!

क्या सोचा था एक दिन किसी ने

कुछ ऐसा मौका आएगा

मंदिर, मस्जिद, चर्च बंद होंगे

भगवान तुझमें-मुझमें नजर आएगा..

जिसको कभी तू मिला न होगा

कहीं दूर उसके भी काम आएगा
बस कुछ दिन घर रहकर तू

तू... हां तू, सबकी जान बचाएगा!

क्या सोचा था एक दिन किसी ने

कुछ ऐसा मौका आएगा

सरहद पर जाकर जो लड़ ना सका

वो घर पर सैनिक बन जाएगा

अगर हर दरवाजा हो चौकी

कैसे दुश्मन घुस पाएगा?

बस कुछ दिन घर रहकर तू
हां तू... सबकी जान बचाएगा!
क्या सोचा था एक दिन किसी ने

कुछ ऐसा मौका आएगा

डॉक्टर्स भी लाइलाज होंगे

इंसान का विवेक दवा बन जाएगा


कब सेवा का ऐसा मौका

खुद तेरे दर चलकर आएगा

बस कुछ दिन घर रहकर तू

हां तू... सबकी जान बचाएगा!

क्या सोचा था एक दिन किसी ने

कुछ ऐसा मौका आएगा

टी-शर्ट पायजामा में बैठा तू

घर पर ही सुपर हीरो बन जाएगा...

खुद उछलना नहीं तुझको

जो औरों को उछलने से रोक पाएगा

बस कुछ दिन घर रहकर तू

हां तू... सबकी जान बचाएगा!

बस-लोकल की भीड़-भाड़ झेलकर

हमने सालों अपनी जिंदगी चलाई है...

आज घर बैठकर.. किसी की जिंदगी बचाने की

ये ऐतिहासिक घड़ी आई है...

बिना खून बहाए जो तू

देश का कर्ज चुकाएगा

सड़क पर नहीं घर बैठकर

आज देशभक्ति दिखाएगा

बस कुछ दिन घर रहकर

हां तू... सबकी जान बचाएगा !

अभिनव नागर की कविता

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