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देखिए ये अनोखी रामायण, गारंटी है दिवाली का जश्न यादगार रहेगा

इस दिवाली रामायण की कहानियों का लुत्फ उठाएं अलग अंदाज में!

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नैरेटर: जतिन, मनीष, अशील, श्वेता, आशीष, माणिक, तनु

इंटरप्रेटर: संस्कृति भाटिया

कैमरापर्सन: अभय शर्मा, अभिषेक रंजन, शिव कुमार मौर्य, सुमित बडोला

वीडियो एडिटर और मल्टीमीडिया प्रोड्यूसर: कुनाल मेहरा

ग्राफिक्स: मेहुल त्यागी

स्पेशल थैंक्स: साईं स्वयं सोसाइटी

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क्या आपको पता है कुंभकर्ण को क्यों इतना प्रेम था खाने और सोने से? कौन थी रामायण की दूसरी स्लीपिंग ब्यूटी? आखिर क्यों राजा दशरथ ने कैकेयी को दिए दो वरदान? सुन पाने में अक्षम हम लोग आपको साइन लैंग्वेज में सुनाएंगे रामायण की कम चर्चित कहानियां.

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क्या आपको पता है कि प्रभु राम की एक बड़ी बहन भी थीं. शांता. लेकिन राजा दशरथ ने ये निर्णय लिया कि सिंहासन पर अगर कोई बैठेगा तो वो एक पुत्र ही होगा. फिर उन्होंने एक यज्ञ करने की ठानी. इसके लिए उन्होंने एक ऐसे ऋषि को बुलाया जो ब्रह्मचारी हो, जिसने कभी किसी महिला पर नजर न डाली हो. ऋष्यशृंग ने 'तपस्या' की जिससे प्रकट हुई 'खीर'. उस खीर को खाने के बाद तीनों रानियां पुत्र के बाद पुत्र जन्म देती चली गईं.

लेकिन शांता का क्या हुआ?

ऋषि ऋष्यशृंग के साथ शांता का विवाह हुआ और दोनों ने खुशी से अपनी बाकी की जिंदगी गुजारी.

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'कैकेयी' को 2 वरदान कैसे मिले?

जब दशरथ एक युद्ध में घायल हुए तब कैकेयी ने ही उन्हें रथ पर बचाया था. उसी समय आभारी राजा दशरथ ने उन्हें दो वरदान देने का वादा किया था.

वफादार भाई 'कुंभकर्ण'

जब 'कुंभकर्ण' ने जाना कि रावण ने सीता को किडनैप कर लिया है और राम के साथ युद्ध लड़ने जा रहा है. उसने अपने भाई को ऐसा करने से मना किया लेकिन वफादार भाई होने के नाते वो युद्ध के लिए मान गया. आखिरकार युद्ध में उसका वध हो गया.

'कुंभकर्ण' की घोर निद्रा के पीछे की कहानी भी सुन लीजिए. एक बार जब ब्रह्मा से वरदान लेने की बारी आई. कुंभकर्ण की जुबान लड़खड़ाई. उसने बुदबुदाया 'निद्रासन' यानी बिस्तर. लेकिन असल में वो चाहता था 'इंद्रासन' लेकिन उसे मिल गया तोहफा लंबी नींद का.

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चलिए इस दिवाली रामायण की ऐसी ही और कहानियों का लुत्फ उठाएं अलग अंदाज में!

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