संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की रिलीज डेट नजदीक आते ही विवाद चरम पर पहुंचता जा रहा है. सिनेमाघर जलाने, जान से मारने और हिंसा फैलाने की धमकी दी जा रही है. करणी सेना के एक नेता ने विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो वो दीपिका की नाक काट लेंगे. संजय लीला भंसाली को मारने और सिर धड़ से अलग करने की धमकी दी जा रही है.
ऐसे में ये बात जरूर सुननी चाहिए.
हां तो करणी सेना...आप लोग हंगामे और धमकी पर उतर आए हैं. वो भी एक ऐसी “महिला पात्र” के लिए जिसके अस्तित्व का सही-सही कुछ पता ही नहीं . ये भी नहीं पता की वो सोलहवीं सदी के राजा रतन सिंह की 15वीं पत्नी थीं भी या नहीं.
लेकिन जरा ये सोचिए कि जिस चीज के लिए आप बवाल मचाए हुए हैं, धरना दे रहे हैं वो है क्या? यही ना कि किसी महिला का सम्मान बना रहना चाहिए.
तो क्या दीपिका पादुकोण महिला नहीं हैं? अगर हैं तो क्या आप महिलाओं की इज्जत ऐसे ही करते हैं?
चलिए इस मामले में आपके ही लॉजिक को समझते हैं और समझाते हैं.
आपका कहना है कि भंसाली की ये फिल्म राजपूतों के कल्चर को ठेस पहुंचा रही है? वो कल्चर जो अपनी महिलाओं की दिलेरी के लिए उन्हें पूजता है, बहादुर होने के लिए पूजता है.
लेकिन आप क्या कर रहे हैं करणी सेना? आपने ना तो किसी महिला को इज्जत दी और ना ही किसी की पूजा की.
दीपिका के लिए, करणी सेना के अध्यक्ष ने ये कहा था-”दीपिका एक नाचने वाली है. नाचिए, लेकिन वो कम कपड़ों में क्यों नाच रही हैं.”
सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. कुछ और भी ‘ज्ञानी’ हैं. डायरेक्टर भंसाली की मां के लिए, बीजेपी के एमपी चिंतामणि मालवीय ने कहा था- “जिस फिल्म मेकर के परिवार की महिलाएं हर दिन अपना पति बदलती हों उसको जौहर की क्या समझ.”
तो साफ बात ये है कि पद्मावती के सम्मान में आपकी ‘महान कोशिश’ आपकी ये भाषा है.
कैरेक्टर पर सवाल उठाएंगे?
अपना काम करने वाली दीपिका पादुकोण को आप नाचने वाली बनाएंगे... क्योंकि वो फिल्मों में कम कपड़े पहनती हैं, तो आप उनके कैरेक्टर पर सवाल उठाएंगे?
आपकी इस सोच को कैसे सलाम करूं समझ नहीं आता..आप लोग महिलाओं का कितना सम्मान करते हैं वाह....शानदार..गजब
ऐसे में... मेरा आप लोगों के लिए एक आइडिया है. अगली बार जब भी आपको ऐसा लगे... कि किसी फिल्म में 'महिला का अपमान' हुआ है तो दो चीजें जरूर याद रखें...
पहला- जिन चीजों की महिलाओं के लिए कोई अहमियत नहीं है..भई उसके लिए उन्हें आपकी लड़ाई और 'मारकाट' की जरूरत नहीं है. अगर महिलाओं के लिए कुछ करना ही है तो आप अपने लोगों से कहिए कि गालियां देना बंद करें.
दूसरी चीज- इतनी तोड़फोड़ मत करो यार! शांति से बैठकर फिल्म देखो. पिक्चर है... एटम बम नही!
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)