क्या चुनावों में धार्मिक भावनाएं मायने रखती हैं? क्या भाजपा की ‘हिंदुत्व’ की राजनीति उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों में वोटों की हासिल करने में मदद करेगी? ये जानने के लिए क्विंट उत्तराखंड के तीर्थ स्थल हरिद्वार में पहुँचा.
अहमदाबाद के एक श्रद्धालु मुकेश पटेल का मानना है कि एक उम्मीदवार को उसकी योग्यता और देश के प्रति समर्पण के आधार पर चुना जाना चाहिए. चयन इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए कि वो हिंदू है या मुसलमान.
इसके उलट, हरिद्वार के हर-की-पौड़ी घाट के एक पुजारी सचिन कौशिक कहते हैं, “चुनाव के दौरान धार्मिक भावनाएं मायने रखती हैं, कांग्रेस और भाजपा अपनी व्यक्तिगत धार्मिक भावनाओं के आधार पर चुनाव लड़ती हैं. भाजपा ने अयोध्या राम मंदिर को मुद्दा बनाया था और उन्होंने जीत हासिल की. 2019 के चुनाव भी धार्मिक भावनाओं के आधार पर लड़े जाएंगे। ”
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