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कोरोना पर आंटी की मुख्यमंत्रियों की क्लास

राज्य के प्रमुख अपने राज्य में घातक दूसरी लहर को कैसे संभाल रहे हैं?

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भारत का कोविड संकट अब एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है. लेकिन, राज्य के प्रमुख अपने राज्य में घातक दूसरी लहर को कैसे संभाल रहे हैं? हम जो देख रहे हैं, उसमें से कुछ एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. कुछ वास्तविक स्थिति से ही इनकार कर रहे हैं. इस वीडियो में, बीसी आंटी राज्य के नेताओं के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर रही हैं कि कैसे वो वायरस फैलने से रोकने का प्रबंधन कर रहे हैं.

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अप्रैल 2021 देश के लिए एक मुश्किल महीना था. भारत ने कोविड मामलों और मौतों की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की. जब देश का एक हिस्सा सांसों के लिए तड़प रहा था और इलाज के लिए भीख मांग रहा था, देश का दूसरा हिस्सा ऐसा था जो सरकार की सहमति से बड़ी धार्मिक सभाओं और चुनावी रैलियों में भाग ले रहा था.

सिर्फ अप्रैल में हरिद्वार में महाकुंभ मेले में 60 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. इससे भी बड़ी चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड के सीएम का भी मानना था कि गंगा में डुबकी लगाने से भक्तों की कोरोना से रक्षा हो सकती है.

“कुंभ में हिस्सा लेने वाले भक्त बाहर से नहीं बल्कि हमारे अपने लोग हैं. सबसे महत्वपूर्ण, कुंभ गंगा नदी के किनारे पर है. लहरों में मां गंगा का आशीर्वाद है. इसलिए, कोई कोरोना नहीं फैलेगा. ”
तीरथ सिंह रावत

चलिए चुनावी रैलियों और रोड शो के बारे में भी बात नहीं करते हैं, जहां पीएम मोदी समेत तमाम राजनीतिक दल के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के लोगों को संबोधित किया. लेकिन, अमित शाह के अनुसार, "चुनाव को बढ़ते COVID-19 मामलों से जोड़ना अनुचित है" बात तो सही है. हमने कहा ही, अभी भी कई नेता दूसरी दुनिया की ही बातें कर रहे हैं.

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