वीडियो एडिटर- संदीप सुमन
कैमरा- अतहर राथर
आजादी-आजादी के नारों पर यहां बड़ी आपत्ति है, लेकिन एक अमेरिकी रिपोर्ट की मानें तो वाकई हम आजाद से थोड़े ‘कम आजाद’ हो गए हैं. दरअसल, फ्रीडम हाउस नाम की एक संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि भारत एक स्वतंत्र देश से 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' देश में बदल चुका है. मतलब India ‘free’ से ‘partly free’ कैटेगरी में आ गया है. जिन लोगों की 'मेहनत' की वजह से ये हुआ है उनसे हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
भारत में पिछले कुछ वक्त से लोकतंत्र और फ्रीडम ऑफ स्पीच को लेकर खूब चर्चा हो रही है. मोदी सरकार पर लेकर विपक्षी नेता, समाजिक कार्यकर्ता और आम लोग लगातार ये आरोप लगाते आए हैं कि पिछले 7 सालों में बोलने की आजादी पर अंकुश लगा है और लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं हो रहा.
अमेरिका की संस्था फ्रीडम हाउस ने पॉलिटिकल फ्रीडम और ह्यूमन राइट्स को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. ‘डेमोक्रेसी अंडर सीज ’शीर्षक वाली रिपोर्ट में इंडिया का स्कोर 71 से घटकर 67 हो गया है और भारत की रैंकिंग 211 देशों में 83 से फिसलकर 88वें पोजिशन पर आ गई है.
ये रिपोर्ट सिर्फ एक संस्था की होती तो गनीमत थी, लेकिन दिक्कत ये है कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बाइडेन शासन की विदेश नीति पर अपने पहले अहम भाषण में इस रिपोर्ट का जिक्र कर दिया. उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन रिपोर्ट का नाम ले लेने से इसलिए अहमियत बढ़ गई है.
एक प्रेस रिलीज में, फ्रीडम हाउस ने कहा है -
एक पैटर्न के तहत सरकार बढ़ती हिंसा और मुस्लिम आबादी के प्रति भेदभाव की नीतियों के प्रति चुप है. आलोचना करने वाले मीडिया, एकेडीमिया और सिविल सोसाइटी पर कड़ा एक्शन लिया जा रहा है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मोदी सरकार में भारत ने वैश्विक स्तर पर एक लोकतांत्रिक लीडर के तौर पर काम करना छोड़ दिया.
इस रिपोर्ट में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की परेशानी और एंटी सीएए प्रदर्शनकारियों पर एक्शन का भी जिक्र है. रिपोर्ट में लिखा है कि सरकार की तरफ से लागू किया गया अनप्लांड लॉकडाउन खतरनाक था. इस दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन का सामना करना पड़ा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भेदभावपूर्ण नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ सरकार ने एक्शन लिया और दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया.
हां, आप इस बात से खुश हो सकते हैं कि रिपोर्ट में चीन की सबसे खराब रेटिंग और ट्रंप के अमेरिका की भी खिंचाई की गई है.
Human Freedom Index 2020 रैकिंग में भी भारत 17 पायदान नीचे
चलिए कुछ और रिपोर्ट भी दिखाते हैं, जहां हमारी जगहंसाई हुई है. इससे पहले Human Freedom Index 2020 रैकिंग में भी भारत 17 पायदान नीचे चला गया.
भारत की रैंकिंग 162 देशों में 111 है, जबकि इससे पहले भारत की रैंकिंग 94 थी. ग्लोबल सिटिजन, इकनॉमिक और पर्सनल फ्रीडम जैसे पैरामीटर के आधार पर ह्यूमन फ्रीडम इंडेक्स की रैंकिंग जारी होती है.
Human Freedom Index 2020 साल 2008-2018 के आंकड़ों के आधार पर जारी की गई है. मतलब पिछली सरकारों पर भी सवाल बनता है.
डेमोक्रेसी इंडेक्स
एक और है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत इसी साल फरवरी में आए डेमोक्रेसी इंडेक्स की रैंकिंग रिपोर्ट में दो रैंक नीचे फिसल गया है.
जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका इकोनॉमिस्ट के सालाना ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ की रैंकिंग के हिसाब से भारत 53वें स्थान पर है. भारत को 2019 के लिए इंडेक्स में 51वें रैंक पर रखा गया था. इससे पहले के साल में भारत 41वें रैंक पर था.
हां, खुश होने की एक वजह हो सकती है, हम अपने कुछ पड़ोसी लेस डेमोक्रेटिक देशों से ऊपर तो हैं.
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स
थोड़ा पीछे चलेंगे तो पता चलेगा कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020 के मुताबिक भारत 180 देशों की लिस्ट में 142वें नंबर पर पहुंच गया है. साल 2016 में भारत इसी रैंकिंग में 133 पर था. लेकिन अब 142 पर है..
फिलहाल इस मामले में भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल (112), भूटान(67), श्रीलंका (127) और म्यांमार (139) से पीछे है. लेकिन पाकिस्तान (145), बांग्लादेश (151) और चीन (177) में भारत से भी खराब स्थिति है.
तो हो लीजिए खुश...
आप भले ही इन रिपोर्ट्स को नकार दें, कह दें कि विदेशी चाल है, लेकिन जब यही रिपोर्ट आपकी रैंकिंग बेहतर बताती थी तब सीना चौड़ा कर के जय हो जय हो के नारे लगाते थे. ऐसे में हम तो पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे हुआ? आगे जनाब ऐसे कैसे चलेगा?
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