शुक्रवार, 22 जुलाई को लोकसभा में भारतीय अंटार्कटिक विधेयक (Indian Antarctic Bill-2022) पारित किया गया, जिसको पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने 1 अप्रैल को संसद के निचले सदन में पेश किया था. यह विधेयक अनिवार्य रूप से अंटार्कटिक क्षेत्र में भारतीय रिसर्च स्टेशनों को घरेलू कानूनों के दायरे में लाएगा. भारत द्वारा अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर करने के लगभग 40 साल बाद लोकसभा में यह विधेयक पारित किया गया.
अंटार्कटिक विधेयक क्या है?
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक भारत में अंटार्कटिका के संबंधित पहला घरेलू कानून है, जिसका उद्देश्य अंटार्कटिक क्षेत्र में भारत द्वारा स्थापित रिसर्च स्टेशनों के लिए घरेलू कानूनों को लागू करना है. अंटार्कटिक में भारत के दो एक्टिव रिसर्च केंद्र- मैत्री और भारती हैं, जहां वैज्ञानिक रिसर्च में शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और उरुग्वे सहित कुल 27 देशों के पास पहले से ही अंटार्कटिका पर घरेलू कानून हैं.
भारत पिछले 40 सालों से अंटार्कटिका में अभियान भेज रहा है. हालांकि, इन अभियानों पर अंतरराष्ट्रीय कानून लागू होते रहे हैं
पेश किए गए विधेयक में ऐसे वैज्ञानिक अभियानों के साथ-साथ व्यक्तियों, कंपनियों और पर्यटकों के लिए अंटार्कटिका से संबंधित नियमों की एक व्यापक लिस्ट शामिल है.
विधेयक में प्रावधान है कि सरकार उल्लंघन को तय करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगी और इसमें सजा का भी प्रावधान है.
इस विधेयक का एक उद्देश्य अंटार्कटिक रिसर्च वेलफेयर के लिए और बर्फीले महाद्वीप के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक कोष का गठन करना भी है.
विधेयक पास होने पर कैसे काम करेगा और कमेटी में कौन लोग शामिल होंगे?
विधेयक पारित होने के बाद सरकार द्वारा एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जो किसी भी अभियान या महाद्वीप की यात्रा करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए एक विस्तृत परमिट सिस्टम पेश करेगी.
अंटार्कटिक शासन और पर्यावरण संरक्षण समिति केंद्र सरकार द्वारा स्थापित की जाएगी, जिसमें 10 सदस्य होंगे, जो संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं होंगे, इसके अलावा इसमें दो एक्सपर्ट भी शामिल होंगे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक कमेटी में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सचिव शामिल होंगे और इसमें रक्षा, विदेश, वित्त, मत्स्य पालन, कानूनी मामलों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिपिंग, पर्यटन, पर्यावरण, संचार और अंतरिक्ष मंत्रालयों के अधिकारी भी होंगे.
यदि पेश की गई परमिट में कमियां पाई जाती हैं या कानून के उल्लंघन में गतिविधियों का पता चलता है तो कमेटी द्वारा इसे रद्द किया जा सकता है.
कमेटी की क्या भूमिका होगी?
सरकार द्वारा गठित की जाने वाली कमेटी की कई जिम्मेदारियां होंगी.
विभिन्न गतिविधियों के लिए परमिट प्रदान करना.
क्षेत्र के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लागू करना.
संधि, सम्मेलन और प्रोटोकॉल के लिए सभी पक्षों से जानकारी जुटाना और उसकी समीक्षा करना.
विधेयक के तहत-क्या कर सकते हैं, क्या नहीं?
अंटार्कटिक विधेयक महाद्वीप पर कई चीजों पर रोक लगाता है. इसमें ड्रिलिंग, ड्रेजिंग, उत्खनन या खनिज संसाधनों का संग्रह शामिल है. इसमें एक अपवाद हो सकता है कि यदि ऐसी गतिविधियां किसी रिसर्च के उद्देश्य से परमिट लेकर की जाती हैं, तो छूट मिल सकती है.
यह विधेयक व्यक्तियों को पौधों, पक्षियों सहित पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से भी रोकता है.
यह उड़ने या लैंडिग हेलीकॉप्टर्स या उन जहाजों को चलाने की अनुमति नहीं देता है जो वहां के जानवरों को परेशान कर सकते हैं.
यह ऐसी हर गतिविधि को प्रतिबंधित करता है, जो पक्षियों और जानवरों के आवास को नुकसान पहुंचा सकता है, मार सकता है, घायल कर सकता है या किसी पक्षी या जानवर को पकड़ सकता है.
विधेयक द्वारा निर्धारित किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान किया गया है. जिसमें एक से दो साल की जेल और 10-50 लाख रुपये का जुर्माना शामिल है.
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