23 साल का शैलेश कुमार एक मिशन को लेकर आगे बढ़ रहा है. उसकी आंखों में कुछ कर गुजरने का जुनून है. बिहार के गया का रहने वाला शैलेश कोई आम खिलाड़ी नहीं है. 17 साल की उम्र में फुटबॉल खेलने के दौरान उसे चोट लग गई थी. दोस्त की मदद लेकर वो घर जा रहा था लेकिन संतुलन बिगड़ने की वजह से गिर गया और उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई. प्राथमिक इलाज कराया लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से किसी बड़े अस्पताल में इलाज नहीं हो पाया. शुरुआत में काफी तकलीफों के बाद उसने खुद को संभाला और उसके जज्बे ने उसे यहां तक पहुंचा दिया.
शैलेश, व्हीलचेयर पर मैराथन और हाफ मैराथन में भाग लेता है. बास्केटबॉल भी खेलता है. शैलेश की कहानी एक मिसाल है कि किस तरह से उसने खुद को कम नहीं समझा और आगे बढ़ता गया. शैलेश कई हाफ और फुल व्हीलचेयर मैराथन में हिस्सा ले चुका है. अब शैलेश को एक अंतराष्ट्रीय स्तर की व्हीलचेयर की जरूरत है ताकि वो 2020 में होने वाले टोक्यो पैरालंपिक्स में देश को मेडल दिला सके.
गंगा ट्रस्ट नाम की एक संस्था शैलेश की मदद कर रही है और उसी के जरिए वो क्राउड फंडिंग फ्यूल ए ड्रीम तक पहुंची. फ्यूल ए ड्रीम के संस्थापक रंगानाथ थोटा के मुताबिक,
अगर शैलेश ने इस स्थिति में इतना कुछ कर सकता है तो अगर उसे अंतराष्ट्रीय स्तर की व्हील चेयर मिल जाए तो वो मेडल भी ला सकता है
शैलेश की मदद करने के लिए यहां क्लिक करें: fueladream.com
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