इस स्टोरी को समझने के लिए आप पहले ये संवाद पढ़िए
A- भैया सब्जी महंगी हो गई है?
B- अच्छा फोन रिचार्ज कर सकते हो, सब्जी नहीं खरीद सकते? किस देश में नहीं है महंगाई?
A- अरे लेकिन पेट्रोल भी तो महंगा हुआ..
B- तुम लोग की दिक्कत यही है.. विरोध करना है बस,, तेल का दाम बढ़ाया गया है क्योंकि जन क्लयान सेहत योजना लागू करना और मेक इन इंडिया पर फोक्स करना है.
हम लोग पैदल चलना भुल गऐ थे, सेहत खराब, डायबेटीज, फलाना ढिमकाना बीमारी.,, तो सरकार ने जन क्लयान सेहत योजना के तहत तेल के दाम बढ़ाए. और फिर सब लोग गाड़ी पर चलेंगे तो साइकिल कौन चलाएगा.. साइकिल कंपनी भी तो इसी देश की है...
A- नौकरी भी तो नहीं है..
B- ओह ओह.. आत्मनिर्भर बनो..
देखा आपने कितनी पॉजिटिविटी है.. इस देश में अगर सब लोग इस संवाद के आम आदमी की तरह सोचने लगे तो बेचारे मोटिवेशनल स्पीकर की तो जॉब चली जाएगी. मतलब एक और बेरोजगार बढ़ जाएगा. अब बेरोजगारी न बढ़े इसके लिए हम आपको कुछ और पॉजिटिव खबरें बताते हैं और आपका माथा फक्र से ऊंचा कर देते हैं. जी हां, भारत में महंगाई (inflation) 8 साल के पीक पर, ऊपर. सब्जी के दाम ऊपर, तेल ऊपर. रसोई गैस के दाम ऊपर. सबमें हम टॉप पर हैं. अब इतना ऊपर जाएंगे तो नीचे वाली जनता पूछेगी जनाब ऐसे कैसे?
भारत में हरी सब्जियों की कीमत सुनकर लोगों का चेहरा लाल हो रहा है..नींबू तो मन खट्टा ही नहीं तीखा कर देता है. खाने वाला तेल भले ही कढ़ाई में उबलता हो लेकिन उसकी बढ़ती कीमत लोगों के पॉकेट से धुंआ निकाल रही है. फल सेहत बनाने के नहीं डराने के काम आ रहे हैं.
खुदरा महंगाई दर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई. एक साल पहले अप्रैल 2021 में महंगाई दर 4.23 प्रतिशत थी. मतलब पिछले साल की तुलना में देखें तो यह बड़ा उछाल है. उछाल,बढ़त.. है न पॉजिटिव बात.और ये उछाल आठ साल में सबसे ज्यादा है.
एक और बढ़त देखिए.. महंगाई दर के इतना ऊपर जाने में बड़ी भूमिका खाने पीने की चीजों के दामों की है. अप्रैल 2022 में फूड इन्फ्लेशन बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई है, जबकि मार्च से पहले यह दर 7.68 प्रतिशत थी. और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी. हुई न बढ़ोतरी?
अब आपको एक और तरक्की दिखाते हैं और आपकी रसोई में महंगाई का तड़का कैसा लगा है वो समझाते हैं..
खाने के तेल के दाम एक महीने में करीब 17 फीसदी बढ़ गए, सब्जियों के दाम 15 फीसदी, मसालों के दाम 10 फीसद और मांस-मछली के दाम करीब 7 (6.97) प्रतिशत बढ़ गए. इंधन के दाम 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए.
'पकौड़ा इकनॉमिक्स'
थोड़ा ज्यादा नंबर नंबर हो गया न? तो आइए आपको 'पकौड़ा मैथेमैटिक्स' के जरिए पूरी कहानी समझाते हैं. आप किचन में हैं और आपको तलना है पकौड़ा. तो आपने तेल, आलू, सब्जी, मसाले लिए और फिर जलाया गैस का चूल्हा. चूल्हे से याद आया कि महीने भर पहले 900 रुपए मिलने वाला एलपीजी सिलेंडर 1000 रुपए का हो गया था. अगर नवंबर 2020 की बात करें तो रसोई गैस के एक सिलेंडर की कीमत तब 594 रुपये थी मतलब डेढ़ साल के अंदर करीब दोगुना दाम बढ़ा है. हालांकि सरकार ने 22 मई को ऐलान किया है कि उज्जवला योजना लाभार्थियों को 200 रुपये की सब्सिडी अधिकतम 12 सिलेंडर सालाना दी जाएगी.
वापस आते हैं पकौड़ा इकनॉमिक्स पर. तो आप मान लीजिए कि जो तेल 100 रुपए लीटर था वो हो गया 117 का, मसाले 100 रुपए के मिलते थे वो हो गए 110 रुपए के. जो सब्जी 100 की आती वो अब आ रही है 115 की. तो कुल मिलाकर जो पकौड़ा आप एक महीने पहले तक 300 रुपए का बना रहे थे उसके लिए अब करीब 350 रुपए लगेंगे. ये बात तो सिर्फ पकौड़े की है, बाकी तीन टाइम का खाना तो छोड़ ही दीजिए.
अब आते हैं पेट्रोल-डीजल और सीएनजी के दामों में हुए 'विकास' पर.
पेट्रोल-डीजल और सीएनजी के दाम अपने टॉप लेवल पर है. जून 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में पहली बार आई तब पेट्रोल की कीमत 71 रुपए और डीजल 57 रुपए लीटर था. लेकिन करीब 8 साल बाद 20 मई 2022 को दिल्ली में पेट्रोल करीब 105 रुपये प्रति लीटर और डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था. जब काफी किरकिरी हुई तो सरकार ने लंबे समय बाद पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए हैं. केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को घटा दिया है. इससे पेट्रोल के दाम 9.50 रुपये और डीजल के 7 रुपये प्रति लीटर कम हुए हैं.
मतलब आसमान से गिरे खजूर के पेड़ पर अटके.. पहले दाम को आसमान पर पहुंचने दिया जाए, फिर हंगामा हो तो उसमें कटौती कर थैंक यू वाले ट्विट किए जाएं.
वहीं बीते एक साल के दौरान दिल्ली में सीएनजी की दामों में 69.60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अब तेल और सीएनजी के दाम बढ़ेंगे तो माल ढुलाई की कीमतों में भी इजाफा होगा. और महंगाई बढ़ेगी.
हंगर इंडेक्स
अब एक और आंकड़े देख लीजिए.. विश्वगुरु बनने की राह पर आगे बढ़ रहा भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में कैसे 'तरक्की' कर रहा है. पहले 94 नंबर पर था अब 101 पर आ गया. है न कमाल की छलांग. भारत 116 देशों की लिस्ट में पिछड़कर 101वें रैंक पर आ गया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि हम इस लिस्ट में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे हैं.
अब आप को हम रोजगार की सुनहरी दुनिया में ले चलते हैं.. सरकारी नौकरी का वादा तो दूर सिर्फ नौकरी का हाल बताते हैं.
मार्च में बेरोजगारी दर 7.6% थी, अप्रैल में बढ़कर 7.97% हो गई है. नौबत ये है कि लोग अब हताश होकर नौकरी ढूंढना छोड़ रहे हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) के हालिया रोजगार आंकड़ों के मुताबिक, भारत का labour participation rate 2017 और 2022 के बीच 46% से गिरकर 40% पर आ गया है.
क्विंट पर लिखे एक आर्टिकल में अर्थशास्त्री दिपांशु मोहन कहते हैं कि महंगाई के पीछे सिर्फ युद्ध को दोष देना ठीक नहीं. इकनॉमी महामारी की मारी थी और युद्ध ने और सताया है. दिपांशु मोहन महंगाई घटाने के लिए RBI ने ब्याज दरों का जो जुगाड़ निकाला है तो वो लेट और नाकाफी है. उनका तो ये भी कहना है कि सिर्फ ब्याज दर का उपाय हमें मंदी की ओर धकेल सकता है. उन्होंने कुछ उपाय सुझाए हैं जैसे-
आम आदमी के हाथ में पैसे दीजिए-डायरेक्ट ट्रांसफर..ताकि डिमांड बढ़े
शहरों में भी मनरेगा शुरू कीजिए
सरकारी खर्च बढ़ाइए
RBI को आजाद कीजिए
लॉकडाउन की मारी आबादी पर महंगाई की ऐसी गाज गिरेगी और सरकार कारगर मदद नहीं करेगी तो हम तो पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
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