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रांची की सड़कों पर दौड़ते सपने और 3 महिला ऑटो रिक्शा ड्राइवर

रांची में पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं को किस बात से लगता है डर

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

रांची की सड़कों पर महिलाओं के लिए पिंक ऑटो चलाती महिलाएं नजर आती हैं. ऑटो चलाती इन महिलाओं की कहानी देश की दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल है. इन महिलाओं की अपनी उम्मीदें हैं और अपने सपने हैं. ये महिलाएं ऑटो चलाकर अपना घर चला रही हैं. लेकिन इनके रास्ते में कई कांटे भी हैं, इन महिलाओं को किस तरह की मुश्किलों का सामना पड़ना है, ये जानने के लिए क्विंट ने इनके ऑटो में सवारी की.

एक एनजीओ की मदद से ऑटो चलाने का काम शुरू करने वाली हीरा देवी बताती हैं-

जब सब ने रास्ता रोका, तब पति ने साथ दिया. मेरी बेटी जब दो महीने की थी, तब से ऑटो चला रहे हैं. हम उसको ऑटो में पीछे सुला देते थे, पैसेंजर कहती थी कि तुम बच्चे को पीछे रख रही हो चोट लग जाएगा. फिर बच्चा बांधने वाला बेल्ट खरीदा, उसी में आगे रखकर चलाते थे. अब तो 2 साल की हो गई है, अब कोई दिक्कत नहीं लगता है. अब स्कूल में नाम लिखा देंगे, फिर क्या टेंशन. दूसरी महिलाएं भी समझती हैं हमारे काम को.

हीरा देवी झारखंड सरकार से काफी नाराज नजर आईं.

जितना हम लोगों ने बीजेपी को सपोर्ट  किया और आगे भी चाहते थे, लेकिन हम लोगों के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया. कोई भी वीआईपी आते हैं, तो सबसे  पहले हम लोगों को ही हटाया जाता है. वीआईपी हम ही से बनते हैंऔर हम ही लोगों को हटाते हैं.
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इन महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती पुरुष भी हैं. सड़क पर वो लोग इन्हें परेशान करते हैं, इनको डराते हैं, धमकी देते हैं और कई बार इन्हें पुरुषों की गालियां सुननी पड़ती है. इन महिलाओं में मुश्किलों से लड़कर खुद के पांव पर खड़े होने की चाहत हैं. एक और ऑटो ड्राइवर रमीला बताती हैं.

ICom तक की पढ़ाई है, परिवार के लिए ऑटो चला रहे हैं. नर्स की पढ़ाई के लिए टेस्ट दिया था, लेकिन एडमिशन के लिए पैसे नहां थे. सड़क पर पुरुष परेशान करते हैं, डराते हैं, धमकी देते हैं, गालियां भी मिलती है”

एक और ऑटो ड्राइवर रीना कहती हैं, “विधवा पेंशन, राशन कार्ड, सरकारी घर, कुछ भी नहीं मिला. अगर वोट देंगे भी तो NOTA” “हम लोगों के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया. 15 साल का टैक्स लिया जा रहा है”

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