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भूखमरी की कगार पर मदरसे के टीचर्स, 30 महीने से नहीं मिली सैलरी

शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं मिलीं, सैलरी 30 महीनों से नहीं मिली 

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"15 अगस्त और 26 जनवरी को मीडिया और सरकार मदरसे में राष्ट्रगान गाया गया या नहीं इसका वीडियो मांगती है. हमसे देश प्रेम का सबूत मांगा जाता है. लेकिन जब हमें 30 महीने से सैलरी नहीं मिली तो कोई हमारा हाल नहीं पूछता. भुखमरी के कगार पर हैं हम लोग."

ये बात बोलते हुए सलमा की आंखों में आंसू और गुस्सा दोनों था. उज्मा पिछले 10 साल से अमरोहा के एक मदरसे में पढ़ा रही हैं. लेकिन पिछले 30 महीने से उन्हें सैलरी नहीं मिली है.

शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं मिलीं, सैलरी 30 महीनों से नहीं मिली 
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उत्तर प्रदेश के मदरसों के हजारों टीचर बच्चों को पढ़ाने के बदले सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं. दरअसल, 30 महीने से सलमा जैसी हजारों शिक्षकों की सैलरी नहीं आई है.

क्या है पूरा मामला?

केंद्र सरकार स्कीम फॉर प्रोवाडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन इन मदरसा (SPQAM) यानी मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत पोस्ट ग्रैजुएट शिक्षकों को 12 हजार और ग्रैजुएट शिक्षकों को 6 हजार प्रतिमाह मानदेय देती है. जबकि ग्रेजुएट टीचर को दो हजार और पोस्ट ग्रैजुएट शिक्षकों को 3 हजार रुपये राज्य देता है. लेकिन मदरसा शिक्षकों का आरोप है कि पिछले 30 महीने से एसपीक्यूईएम योजना के तहत मिलने वाले पैसे उन्हें नहीं मिल रहा है.

शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं मिलीं, सैलरी 30 महीनों से नहीं मिली 

इस्लामिक मदरसा मॉडर्नाइजेशन टीचर्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष नवाब हुसैन ने बताया कि इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण के शिक्षकों को मिलने वाले वेतनमान में राज्य और केंद्र दोनों का हिस्सा होता है. लेकिन केंद्र की ओर से मिलने वाला वेतन 30 महीने से नहीं आया है.

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क्या है मदरसा आधुनिकीकरण?

मदरसों के आधुनिकीकरण और मदरसों में बेहतर शिक्षा देने के लिए केंद्र सरकार ने स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन (एसपीक्यूईएम) की शुरआत की थी. जिसके तहत यहां इस्लामिक पढ़ाई के अलावा अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर जैसे सब्जेक्ट पढ़ाए जाने के लिए अलग से शिक्षकों की बहाली की गई. साथ ही एनसीईआरटी की किताबें सिलेबस में जोड़ने की भी बात हुई थी.

लेकिन इस्लामिक मदरसा मॉडर्नाइजेशन टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एजाज अहमद कहते हैं, "सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी सिलेबस तो लागू कर दिया, लेकिन किताबें नहीं दी गईं. जिससे बच्चों की पढ़ाई को नुकसान हो रहा है. न हमें वेतन मिल रहा है न बच्चों का भला हो रहा है."

दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे शिक्षक अब बस सरकार से एक ही सवाल कर रहे हैं कि क्या बच्चों का भविष्य सुधारने वालों के भविष्य की सुध लेगी सरकार?

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