2019 में लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को लुभाने के लिए सरकार की तरफ से MSP (समर्थन मूल्य) में बढ़ोतरी को किसान लॉलीपॉप के तरह देखते हैं. किसान सरकार से नाराज हैं. उन्हें लगता है कि इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है.
दरअसल, सरकार ने धान के साथ कई फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. माना जा रहा है कि इससे उनकी दशा बदलेगी लेकिन क्या वाकई में इससे किसानों की जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव आएगा?
‘MSP बढ़ोतरी का फायदा सिर्फ बिचौलियों को’
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में धान मुख्य फसल है. यहां के किसानों के मुताबिक, सरकार के इस कदम से उनका कोई फायदा नहीं होने वाला है. बल्कि इसका फायदा बिचौलियों को मिलेगा. किसानों का ये भी आरोप है कि खरीद केंद्र उनसे सीधे फसल नहीं लेते हैं.
MSP में बढ़ोतरी का फायदा या तो बिचौलिये ले रहे हैं या अफसर. किसानों को नहीं मिल रहा है फायदाखरीद केंद्रों पर भ्रष्टाचार है. बिचौलिये पैसे देते हैं तो उनका अनाज बिक जाता है. किसान एक-एक हफ्ते तक लाइन में लगे रहते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं होता मजबूर होकर किसान बिचौलियों को कम दाम में अनाज बेच देता है.धरनी धर तिवारी, किसान
इधर, खरीद केंद्रों की अपनी दलीलें हैं. उनका कहना है कि अनाज रखने के लिए जगह की कमी है और बारिश के दौरान भीगने से खराब होने का डर बना रहता है.
8,000 क्विंटल खरीदने का टार्गेट था, हमने 5042 क्विंटल खरीदा. न खरीदने का कारण था कि अगर बारिश हो जाती है, फसल या अनाज भीग जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. इसलिए हम थोड़ा डरकर खरीदते हैं.राम सिंह, क्रय केंद्र प्रभारी, धानापुर सहकारी समिति, चंदौली
किसानों का कहना है कि एमएसपी में बढ़ोतरी के अनुपात में खेती की लागत ज्यादा आती है. इसलिए इस बढ़ोतरी से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा.
किसानों से पूछा जाए कि MSP डेढ़ गुना बढ़ने से कितना फायदा होगा. लागत ज्यादा आती है किसानों की. 50 रु डीएपी के दाम बढ़ गए, 70 रु से ऊपर डीजल के दाम. बिना डीजल किसानों के लिए खेती संभव नहीं है. मजदूर डेढ़ सौ की जगह ढाई सौ रुपये मांग रहे हैं, सारी चीजें दोगुना बढ़ गई हैंये लोग डेढ़ गुना के नाम पर 200 रुपये दे रहे हैं. सरकार हमें 200 रुपये बढ़ाकर न दे बल्कि हमारा पैदा किया हुआ अनाज आसानी से खरीद लेतो भी किसान खुश रहेगा.चंद्र शेखर, किसान
किसानों को लगता है कि 200 रुपये MSP बढ़ाकर सरकार की तरफ से ये किसानों को लॉलीपॉप दिया गया है और कोशिश की जा रही है कि 2019 से पहले इस कदम के जरिए चुनावी फसल काटी जाए.
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