ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसान आंदोलन का यूपी चुनाव में BJP को होगा नुकसान: नरेश टिकैत

बीकेयू प्रमुख नरेश टिकैत ने कहा-"BJP ने पिछले यूपी चुनावों के बाद केवल किसानों के समर्थन का फायदा उठाया"

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने पहले के चुनावों में बीजेपी का समर्थन किया था, लेकिन पार्टी ने "अपनी राजनीति के लिए केवल किसानों का शोषण किया", और "किसानों के विरोध के कारण आगामी यूपी चुनाव में निश्चित रूप से नुकसान होगा"- बीकेयू नेता नरेश टिकैत ने क्विंट से कहा.

मुजफ्फरनगर के सिसौली में अपने घर पर क्विंट के साथ खास इंटरव्यू में किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि उनके संघ को अतीत में बीजेपी का समर्थन करने का पछतावा है.

“यह एक तथ्य है कि बीकेयू ने 2014 के लोकसभा चुनावों, 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का समर्थन किया था. लेकिन इसमें से जो निकला वह हमें पसंद नहीं आया. बीजेपी अपने वादों पर खरी नहीं उतरी, और केवल अपनी राजनीति के लिए किसानों के समर्थन का फायदा उठाया.

बालियान खाप नेता के साथ-साथ उनके भाई और बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत का पश्चिमी यूपी के जाट किसानों के बीच बहुत अधिक समर्थक और प्रभाव है"

0

बीकेयू ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक साल से अधिक समय तक चले किसानों के विशाल विरोध प्रदर्शन में केंद्रीय भूमिका निभाई. बीजेपी सरकार ने आखिरकार नवंबर 2021 में कानूनों को वापस ले लिया, लेकिन टिकैत का कहना है कि "किसानों के दिलों को नरम करने के लिए क़ानून को निरस्त करना पर्याप्त नहीं होगा.

“यह 13 महीने का लंबा विरोध था, हमने 700 से अधिक किसान खो दिए, किसान समुदाय इतनी आसानी से यह सब नहीं भूलेगा. उनके दिलों में अभी भी बहुत गुस्सा है और निश्चित रूप से इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा.

हालांकि, नेता ने पहले मुजफ्फरनगर की बुढाना और मीरापुर सीटों से दो RLD उम्मीदवारों को आशीर्वाद देने के बावजूद, 2022 के यूपी चुनावों में बीकेयू की राजनीतिक निष्ठा को स्पष्ट रूप से बताने से इनकार कर दिया.

"मैं अकेला यह तय नहीं कर सकता, संयुक्त किसान मोर्चा और बीकेयू के अन्य सदस्यों को इस पर एक संयुक्त चर्चा की जरूरत है, और उसके बाद ही हम यह बयान दे सकते हैं कि हम किस पार्टी का समर्थन करेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'हिंदू युवा बीजेपी से प्रभावित'

2022 यूपी चुनाव जिले के मुसलमानों और जाटों के बीच 2013 के हिंसक मुजफ्फरनगर दंगों के लगभग एक दशक बाद हैं. टिकैत ने कहा कि दंगों ने दोनों समुदायों के बीच समीकरण को गंभीर रूप से प्रभावित किया.

“2013 के दंगों ने वास्तव में दो समुदायों (जाट और मुस्लिम) के संबंधों को आहत किया. उनके बीच एक दीवार बन गई, लेकिन हम पिछले कुछ वर्षों में इसे पाटने में सफल रहे हैं.

टिकैत ने कहा कि दंगों के बाद जाट समुदाय के युवा बीजेपी की राजनीति से प्रभावित हुए.

“हिंदू युवाओं के दिलों में जहर भर दिया गया था और वे तब हो रही राजनीति को समझने में नाकाम रहे, उन्हें बाद में समझ में आया कि राजनीति के लिए उनका कैसे शोषण किया जा रहा है. तब से हमने फिर कभी कोई हिंदू-मुस्लिम संघर्ष नहीं होने दिया.

उन्होंने कहा, "हमने स्थानीय मुस्लिम नेताओं से बात की, हमने युवा हिंदुओं की चिंताओं को भी दूर किया और उन्हें समझाया कि उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, न कि किसी हिंदू-मुस्लिम राजनीति पर.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें