एनडीटीवी के को-फाउंडर और वरिष्ठ पत्रकार प्रणय रॉय ने क्विंट के टाउनहॉल में कहा कि 2019 का चुनाव नेशनल इलेक्शन नहीं, बल्कि यह राज्यों के चुनावों का फेडरेशन है.'' इसके साथ ही उन्होंने इस चुनाव में गठबंधन की अहमियत सहित कई पहलुओं पर बात की. उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह बीजेपी गठबंधन का महत्व समझने में कांग्रेस से आगे दिखाई दे रही है.
'आजादी के 25 सालों बाद नाटकीय तरीके से बदलीं चीजें'
प्रणय रॉय ने कहा, ''1952 से लेकर 1977 तक प्रो-इंकम्बेंसी का दौर चला. आप अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं दिखते थे, फिर भी आप जीत सकते थे. यह भरोसेमंद वोटरों का दौर था. उस समय के वोटर में उम्मीद दिखती थी, क्योंकि उसने देश को आजाद होते हुए देखा था और उसे लगता था कि हम वाकई आगे बढ़ रहे हैं. इन 25 सालों के बाद चीजें नाटकीय तरीके से बदलने लगीं.''
रॉय ने बताया कि अभी एक बड़ा बदलाव यह आया है कि चुनाव जीतने के लिए वोटों से ज्यादा गठबंधन की अहमियत है. उन्होंने कहा, ‘’(आजादी के बाद के) पहले 25 सालों में गठबंधन ज्यादा मायने नहीं रखते थे, लेकिन अभी लगभग 50 फीसदी सीटें गठबंधन के बनने या ना बनने से जीती जाती हैं. ऐसे में सबसे पहले समझने की बात यह है कि इस बार का चुनाव वास्तव में नेशनल इलेक्शन नहीं है. यह राज्यों के चुनावों का फेडरेशन है. जब आप चुनाव का आकलन कर रहे हों तो हर राज्य को अलग तरह से देखिए, राज्यों के मुद्दों को देखिए.’’
गठबंधन के मुद्दे पर उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस को लेकर कहा, ''गठबंधन की अहमियत समझने में बीजेपी कांग्रेस के मुकाबले आगे है. कांग्रेस 1970 के किसी ड्रीम वर्ल्ड में जी रही है.
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