वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
कोरोना महामारी के बाद हुए लॉकडाउन के कारण कई परिवारों और व्यवसायियों को काफी नुकसान हुआ है. होटल इंडस्ट्री भी इससे अछूता नहीं रहा. हम यहां होटल व्यवसाय से जुड़े तीन लोगों की केस स्टडीज बता रहे हैं जिससे आपको स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लग सकता है.
होटल चेन की तीन कहानियां
अमेरिका से MBA कर 2018 में मुम्बई लौटी मेधा दतवानी का सपना था कि अपना एक रेस्टोरेंट हो, उन्होंने पोको लोको नाम से एक रेस्टोरेंट खोला, उनका कहना है कि हमने 2020 के शुरुआती महीने में रेस्टोरेंट खोला पर कुछ ही महीने बाद कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा दिया गया, उस समय ये नहीं लगा की यह लॉकडाउन लम्बा चलने वाला है, आज नतीजा यह है कि पोको लोको रेस्टोरेंट करीब 1 करोड़ के घाटे में है.
सिरियल ग्रिलर- क्लाउड किचन के मालिक अनंत चौधरी का कहना है कि शुरू में जॉब किया, पर इच्छा खुद की रेस्टोरेंट खोलने की थी, तब मैने क्लाउड किचन शुरू किया, जिसमें पूंजी लगाने में मेरे दोस्त ने मदद की.
संतोष कुडस्कर बताते हैं कि 1999 से मैंने होटल इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था, आज करीब 22 साल का अनुभव मेरे पास है, इस दरमियां मैने ताज होटल में भी काम किया, करीब 1.5 साल तक यूरोप और अमेरिका के होटलों में काम का अनुभव है, पर आज लॉकडाउन लगने से हजारों नौकरियां चली गई, मुझे होटल मैनेजर से डिलीवरी बॉय का काम करना पड़ रहा है, क्योंकि घर चलाने के लिए पैसे कमाना जरूरी है.
लॉकडाउन का हुआ असर
लॉकडाउन लगने से पहले ही हमारा बिजनेस उछाल पकड़ रहा था पर लगातार बन्दी की वजह से सबकुछ धीमा पड़ गया,मेधा दतवाने, पोको लोको रेस्टोरेंट होटेलियर
संतोष कुडस्कर कहते हैं कि पहले तो मैनेजर था, कुर्सी पर काम करता था, पर लॉकडाउन से हालात ऐसे हुए कि डिलीवरी बॉय बनना पड़ा, मुझे इस बात की खुशी है कि, Swiggy ने मुझे 44 साल की उम्र में भी काम करने का मौका दिया, जिससे मैं खुद का और परिवार का भी खर्च चला लेता हूं.
नुकसान ही नुकसान
लॉकडाउन की वजह से लगातार रेस्टोरेंट के प्रॉफिट मार्जिन्स में गिरावट आई है. पोको लोको की मालिक का कहना है कि सबकुछ करने के बाद हमें 10 प्रतिशत का बचत होता है, पर लॉकडाउन की मार से करीब 1 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है. रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि सरकार ने तो संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया पर हमें अपने रेस्टोरेंट का किराया, पानी बिल, बिजली बिल और भी खर्च हैं, जो भरने होते हैं.
वजूद बचाने की कोशिश
काफी नुकसान झेलने के बाद भी रेस्टोरेंट चल रहें हैं, मालिकों का कहना है कि हमने बडे़ शौक से इस काम को शुरू किया था, और उम्मीद है आगे भी जारी रखेंगे. मेधा दतवानी का कहना है कि हमारे रेस्टोरेंट में लोग पार्टियों के लिए आते थे, और आर्डर भी पार्टी समारोह के लिए किया जाता था पर आजकल हालात के मुताबिक सबकुछ बदलना पड़ा है.
खुद के वजूद बचाने के लिए अब 16-16 घण्टे काम करने पड़ते हैं. पहले कुर्सी गरम करता था, अब गाड़ी गरम करता हूं.संतोष कुडस्कर
चुनौतियों का कर रहें हैं सामना
डिलीवरी बॉय संतोष कुडस्कर बताते हैं कि आज समय ऐसा आ गया है कि लोगों को एक दूसरे से दूर ही रहना पड़ता है. लोग बॉक्स की बजाय, प्लेट में खाने का आर्डर करते हैं, हर कस्टमर खाना गरम मांगता है पर सिचुएशन ऐसा होता है कि बारिश की वजह से डिलीवरी सेवा में देर हो जाती है और खाना भी ठंडा पड़ जाता है. जिससे कस्टमर की बातें सुननी पड़ती है.
कैसे करेंगे समाधान
मेघा दतवानी का कहना है कि सरकार भले ही लॉकडाउन ना हटाए पर होटलों में कम से कम पहले के मुकाबले में 50 प्रतिशत ही लोगों को आने की अनुमति दे, समय को बढाएं, उनका कहना है कि हमारे रेस्टोरेंट को सिर्फ 9 बजे से 4 बजे तक ही खोलने की अनुमति है और शनिवार तथा रविवार को पूर्ण रूप से बन्द करना है, मैं चाहती हूं की सरकार टाइम रिलेक्सेसन दे और रविवार तथा शनिवार को भी रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति दे.
मैं ये चाहता हूं कि चाहे कुछ भी हो जाए सरकार को डिलीवरी पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए.संतोष कुडस्कर
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