एडिटर: मोहम्मद इरशाद
प्रोड्यूसर- स्मृति चंदेल
बंगाल के आसनसोल के बराकर में साल 2018 में रामनवमी के जुलूस पर कथित तौर पर समुदाय विशेष के लोगों के बीच पथराव के बाद तनाव का माहौल पैदा हो गया था. यहां विश्व हिंदू परिषद रामनवमी का जुलूस निकाल रही थी. इसी दौरान कुछ लोगों ने पथराव कर दिया और देखते ही देखते दोनों पक्षों में पत्थरबाजी शुरू हो गई. इस बीच, कुछ शरारती तत्वों ने पुलिस की गाड़ियों और बाइकों को आग के हवाले कर दिया. दंगे जैसे स्थिति बनने की आशंका के चलते यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात की गई. द क्विंट पहुंचा आसनसोल की जमीनी हकीकत जानने कि यहां के लोग का इस चुनाव के बारे में क्या कहना है.
हमले के वक्त मौजूद स्थानीय निवासी रेखा देवी का कहना है कि सरकार ने कहा था कि सब के अकाउंट में पैसा आएगा. शुरुआत में 10 हजार आया लेकिन बाद में कुछ के अकाउंट में पैसा आया कुछ के अकाउंट मेंनहीं आया.
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इस बार यहां की हिंदू कॉलोनी में रहने वाले लोग अपना राजनीतिक रुख बताने में हिचकिचा रहे हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि उनके खातों में आया मुआवजे का पैसा मोदी सरकार की तरफ से आया है या ममता बनर्जी की तरफ से. इस बात का उन्हें बिलकुल अंदाजा नहीं है. आसनसोल के स्थानीय निवासी इस चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को चुनने में हिचकिचा रहे हैं.
इसके ठीक उलट मुस्लिमों का कहना है कि यहां शांति है और वो अपनी पसंद की खुलकर बात कर रहे हैं. एक मुस्लिम स्थानीय निवासी का कहना है कि
अभी यहां की हालत बहुत ठीक है. यहां अब दंगों जैसा कोई माहौल नहीं है. यहां शांति मेंटेन करने वाली नेता ममता ममता बनर्जी हैं.मोहम्मद सलीम
यहां की जनता को सबसे ज्यादा शिकायतें बीजेपी नेता बाबुल सुप्रियो से है. लोगों का कहना है कि बाबुल सुप्रियो इस क्षेत्र में कभी नहीं आते. आपको बता दें कि साल 1989 के बाद से आसनसोल सीट पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा. लेकिन 2014 के मोदी लहर में लेफ्ट का यह किला ढह गया. आसनसोल में भगवा झंडा लहराने वाले बाबुल सुप्रियो को पार्टी ने एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. टीएमसी ने इस सीट पर मुनमुन सेन को चुनावी मैदान में उतारा है जो बंगाल की लीजेंड एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की बेटी हैं और खुद भी एक जानी-मानी एक्ट्रेस रही हैं.
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