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पाकिस्तान से आए हिंदू रिफ्यूजियों को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन...

पाकिस्तानी हिंदू रिफ्यूजियों के लिए CAA उनकी आखिरी उम्मीद है

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

11 दिसंबर 2019 को संसद में विवादित नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) पास हुआ. लगभग हर न्यूज चैनल मजनू का टीला रिफ्यूजी कैंप में रह रहे करीब 200 पाकिस्तानी हिंदू रिफ्यूजी परिवार से मिला. जिन्हें इस कानून का फायदा होने वाला था. लेकिन इस कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए. वहीं दूसरी तरह पाकिस्तानी हिंदू रिफ्यूजियों (Pakistan’s Hindu Refugees) के लिए ये कानून उनकी आखिरी उम्मीद की तरह था.

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CAA पास होने के एक साल बाद द क्विंट पाकिस्तानी परिवारों से मिला. सरकार ने अभी CAA नोटिफाई नहीं किया है, इसके कारण कई परिवारों का इंतजार अब निराशा में बदल रहा है.

'अभी तक कागज का एक टुकड़ा तक नहीं मिला'

मनोहर लाल के परिवार में 6 सदस्य हैं जो 2014 में पाकिस्तान से भारत इस उम्मीद में आए कि उन्हें यहां शरण मिल जाएगी और उनकी परेशानियों का अंत होगा, लेकिन मनोहर लाल के लिए स्थिति बिगड़ती ही चली गई. CAA के पास होने के बाद सरकार से कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है.

पिछले साल जब बिल पास हुआ था, तो बहुत सारे मीडिया चैनल आए थे और हमसे बात कर रहे थे, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ, कोई नहीं आया, न ही कोई दस्तावेज हमें मिला.
मनोहर लाल, सिंध, शरणार्थी 
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'अगर कोविड न हुआ होता तो हर हिंदू पाकिस्तान से भारत आ चुका होता'

CAA पास होने के बाद कई लोग पाकिस्तान से भारत आए, उनमें से एक धरमवीर ने हमें बताया कि भारत में शरण की उम्मीद कर रहे कई लोग कोरोना वायरस की वजह से नहीं आ पाए.

हम सब कुछ पैक कर के पाकिस्तान से भारत आए कि हमें यहां शरण मिलेगी और हमें कोई खतरा नहीं है, कई लोगों की जान चली गई, अगर COVID की समस्या नहीं होती तो हर हिंदू पाकिस्तान छोड़ चुका होता, अगर वो वहां से बाहर नहीं निकलते तो उन्हें मार दिया जाता.
धर्मवीर सोलंकी, सिंध शरणार्थी

गरीबी कई लोगों को वापस लौटने पर मजबूर कर रही है, क्विंट से बातचीत में राम चंद्र ने बताया कि दो वक्त का खाना न जुटा पाने के कारण कई लोगों ने वापस लौटने का फैसला लिया, वो कहते हैं कि,'किसी के पास नौकरी नहीं है, खाने तक की परेशानी होने लगी है'

कई लोग लौट गए हैं, कई लोग हर साल भारत का वीजा लेकर आते हैं, जिसकी कीमत 10,000 है पाकिस्तान में. वो भारत आने के लिए कई कोशिशें करते हैं, लेकिन जब यहां आते हैं तो उनके लिए सुविधाएं नहीं है, इसलिए वो वापस लौटने को मजबूर हैं
राम चंद्र, सिंध, शरणार्थी

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