कानपुर के बाबू पूर्वा इलाके के एक बुनकर अनीस (बदला हुआ नाम) 20 दिसंबर 2019 को धागा खरीदने के लिए घर से बाहर निकले थे. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन ने हिंसात्मक रूप ले लिया है.
दोपहर करीब 3:30 बजे, जब वह सूफा मस्जिद पहुंचे तो उन्हें दाहिनी जांघ पर गोली मार दी गई. गोली लगते ही अनीस बेहोश हो गए और उसके बाद की घटना के बारे में कुछ याद नहीं है.
“मैं हंगामे की वजह नहीं जानता. इतना सुना है कि पुलिसवाले गोली चला रहा थे. उन्होंने सीधे बंदूक से निशाना साधा है.”अनीस, कानपुर
अनीस 6 दिनों तक अस्पताल में रहे, लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी बिस्तर पर हैं. उन्हें सीधे बैठने या चलने के लिए किसी की मदद की लेनी होती है. बुनकर के काम से अनीस रोजाना 600 रुपए कमाते थे, जो अब नहीं कमा पा रहे हैं. उनका लगभग सात सदस्यों का परिवार है जो उन पर निर्भर है.
“हम गरीब लोग हैं जो रोजाना मजदूरी पर निर्भर हैं.”अनीस, कानपुर
"कंधे पर मारी गोली"
ऐसा ही कुछ वाकया 20 साल के एक कॉलेज छात्र रिजवान (बदला हुआ नाम) का है. उस दिन रिजवान अपने दोस्तों के साथ बाहर थे. घर से रिजवान के पास तुरंत घर लौटने के लिए एक फोन आता है. घर लौटते समय वह गलती से सीएए के खिलाफ एकत्र भीड़ में शामिल हो जाते हैं.
रिजवान का दावा है कि अचानक भीड़ आ गई और वह अपने दोस्तों से अलग हो गए. तभी पुलिस आंसू गैस के गोले छोड़ने लगी. इसके बाद भगदड़ मच गई. पुलिस ने लाठीचार्ज की. फायरिंग हुई. इसी दौरान कंधे में उनके गोली लग गई.
वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि उनके रिश्तेदारों को घर से पुलिस ने जबरन गिरफ्तार किया. 40 साल की एक स्थानीय महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की.
कानपुर पुलिस ने बाबू पूर्वा में 5,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. वहीं, यतीमखाना में 4,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.
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