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कोरोनावायरस: आर्थिक इमरजेंसी है, युद्ध स्तर के उपाय चाहिए सरकार

कई राज्य लॉकडाउन हैं. ऐसे में बाजार की हालत गंभीर और बदतर हो चली है.

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कोरोनावायरस का कहर देश में जारी है. पूरी दुनिया इससे प्रभावित हुई है, भारत सरकार ने COVID-19 को और फैलने से रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं, कई राज्य लॉकडाउन हैं. ऐसे में बाजार की हालत गंभीर और बदतर हो चली है. युद्ध जैसी स्थिति है लेकिन सरकार की धीमी गति है.

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कोरोनावायरस के कारण आर्थिक संकट बढ़ रहा है और इसमें कुछ बातों को अच्छे से समझना जरूरी है. जब भी इतने बड़े कदम उठाये जाते हैं तो समाज के कमजोर तबकों के लोगों को ज्यादा दिक्कत न हो और इकनॉमिक एक्टिविटी न रुक पाए और अगर रुक भी जाए इससे होने वाले नुकसान को किस हद तक रोका जा सकता है इसपर फोकस किया जाता है

हम स्टिम्युलस की बात नहीं कर रहे हैं, ऐसे समय में राहत और सपोर्ट की बात पर ध्यान देना जरूरी है. कुछ लोगों की राय है कि स्टिम्युलास के लिए हफ्ता-दस दिन और देखना होगा. दूसरी तरफ की राय है कि बिलकुल समय नहीं है, जल्द ही अनाउंस कर देना चाहिए. उसकी वजह ये है कि पहले ही आपकी इकनॉमी डूबी हुई है और लॉकडाउन के कारण सारा कारोबार रुक चुका है. आपने देखा कि ‘जनता कर्फ्यू’ के बाद जब अलग-अलग राज्य लॉकडाउन करने लग गए, ट्रेन बंद होने लगी तो पैनिक जैसे हालात बन गए .

आज जब हम बात कर रहे हैं 23 मार्च को तो करीब करीब पूरे देश में प्रैक्टिकली लॉकडाउन लागू हो गया है और सरकार ने 'जनता कर्फ्यू' के बावजूद लोगों को तैयार नहीं किया कि सोशल डिस्टेंसींग कितनी जरूरी है और इसकी तैयारी के तौर पर. इस देश के 80% लोग, जो इनफॉर्मल इकोनोमी को चलाने वाले वो लोग, एकदम दिहाड़ी मजदूरी वाले हैं. उनके पास एक हफ्ते या दो दिन से ज्यादा का पैसा नहीं होता ऐसे लोग इकनॉमी को चलाते हैं तो उन लोगों को ये बताने कि जरूरत थी कि 'आप चिंता न करें, आप जहां हैं वहीं रहें आपको एक पेमेंट मिलेगी'

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हम बात कर रहे हैं यूनिवर्सल बेसिक इनकम के तौर पर एक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की, जिसका डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर हमारे पास है. जब फैक्ट्री लॉकडाउन है तो वहां के कर्मचारियों और मजदूरों को तस्सली देने की जरूरत थी.

तीसरी बात अगर वोर्किंग कैपिटल रुक जाएगी,वलिक्विडिटी बाजार में रुक जाएगी तो कैसे काम होगा?

RBI कुछ कदम धीरे-धीरे उठा रहा है लेकिन आप इसकी तुलना करके देखिये कि अमेरिका ने क्या किया, फ्रांस और जर्मनी ने क्या किया. वहां फिस्कल और मॉनिट्री कदम एक साथ आए, क्योंकि अब जब फैक्ट्री बंद हैं, दुकानें बंद हैं, तो उनको चलाने वालों की कमाई नहीं हो रही है तो वो लोग अपना पेमेंट कैसे करेंगे- इन्हें कहते हैं फॉरमियरेंस. रेंट नहीं आ रहा है, EMI नहीं आ रही है ऐसे में अगर आपको वोर्किंग कैपिटल की जरूरत है तो बैंक आपको पैसा सप्लाई करेगा.

RBI का कहना है कि 6 अप्रैल को रेट कट कैसे करना है और कितना करना है, ये तय करेंगे. लेकिन लोगों का कहना है कि इसे अभी कर दीजिए. इसमें देर मत कीजिये और 50 बेसिस पॉइंट का रेट कट नहीं, कम से कम 2% का रेट कट कीजिये.

सरकार जब इतना खर्च करेगी, क्रेडिट लाइन को टूटने नहीं देगी, बहुत सारे पैसे बाजार में रखेगी तब जाकर इतना बड़ा इकनोमिक शॉक इकनॉमी झेल पाएगी. तो राहत देना, सपोर्ट देना एक बात है और स्टिम्युलस देना एक बात है.

स्टिम्युलस के लिए हफ्तेभर का इन्तजार कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन सपोर्ट अभी चाहिए.

ये वॉर यानी जंग जैसी स्थिति है और जंग जैसी स्थिति के समय इकनॉमी के फिस्कल डिसिप्लिन के साधारण सिद्धांत नहीं चलते, यहां आपको फिस्कल डेफिसिट की चिंता करने की जरूरत नहीं है अगर आपको (सरकार) अब बहुत बड़ा पैकेज लेकर आना है तो सबसे पहले आप गरीबों के हाथ में पैसा दीजिये ताकि वो घबराय नहीं.

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