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मौत, हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट,3 हफ्तों बाद...दिल्ली को मिली ऑक्सीजन

दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार

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दिल्ली में कोरोना का कहर एक बार फिर जारी है, रोजाना करीब 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. इस बीच लोगों की जिंदगी बचाने वाली ऑक्सीजन को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है. पिछले करीब तीन हफ्तों से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर तनातनी जारी थी. यहां तक कि मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा. जिसके बाद अब आखिरकार पहली बार दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई हुई है.

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अब आपको शुरू से लेकर अब तक दिल्ली में ऑक्सीजन कोटे को लेकर चल रही इस लड़ाई के बारे में समझाते हैं. दिल्ली में कुछ हफ्ते पहले तक ऑक्सीजन की कमी की कोई शिकायतें नहीं आ रही थीं. लेकिन जैसे-जैसे केस बढ़ते गए, अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी भी लगातार बढ़ती चली गई.

डिप्टी सीएम ने कही थी हाहाकार की बात

20 अप्रैल को हालात यहां तक पहुंच गए कि दिल्ली के सीएम, डिप्टी सीएम और तमाम मंत्री ट्विटर पर ऑक्सीजन की डिमांड करने लगे. यहां तक कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर सुबह तक ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो दिल्ली में हाहाकार मच जाएगा. इस दिन यानी 20 अप्रैल को दिल्ली में रिकॉर्ड 28395 नए कोरोना मामले सामने आए थे, वहीं 277 लोगों की मौत हुई थी.

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इस दिन तक दिल्ली में कुल ऑक्सीजन का कोटा करीब 378 मीट्रिक टन था. जिसे बढ़ाने की मांग लगातार हो रही थी. इसके अगले ही दिन 21 अप्रैल को केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि दिल्ली का ऑक्सीजन कोटा अब 378 से बढ़ाकर 480 मीट्रिक टन कर दिया गया है. दिल्ली सरकार ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन बताया कि मौजूदा हालात में दिल्ली के लिए ये ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रक टन ऑक्सीजन की जरूरत है.
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गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत

अब ऑक्सीजन की इसी बहस के बीच 23 अप्रैल की सुबह खबर आई कि गंगाराम हॉस्पिटल में 25 मरीजों की मौत हो गई है. इस खबर से ठीक पहले हॉस्पिटल ने बताया था कि उनके पास सिर्फ 2 घंटे का ऑक्सीजन है और 60 मरीजों की जान खतरे में है. लेकिन मीडिया में खबर आने के बाद अस्पताल ने कहा कि जिन मरीजों की मौत हुई है, उनकी हालत काफी खराब थी.

20 अप्रैल से लेकर 23 अप्रैल तक दिल्ली के तमाम अस्पताल सरकार से ऑक्सीजन की गुहार लगाते रहे. लेकिन जब उन्हें लगा कि हालात बिगड़ते जा रहे हैं तो कुछ हॉस्पिटल कोर्ट पहुंच गए. दिल्ली हाईकोर्ट में महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल, जयपुर गोल्डन, सरोज हॉस्पिटल और बत्रा हॉस्पिटल ने याचिका दायर कर ऑक्सीजन की मांग की. हाईकोर्ट ने तुरंत इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई.
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कोर्ट में सुनवाई, बत्रा हॉस्पिटल में 12 मरीजों की मौत

अब हाईकोर्ट में रोजाना ऑक्सीजन को लेकर सुनवाई शुरू हो गई. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि दिल्ली को उसकी डिमांड के मुताबिक ऑक्सीजन मुहैया कराई जाए. इसी बीच कई और हॉस्पिटल भी हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट लगातार ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सरकारों को फटकार लगा रहा था, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू कर दी.

सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वो दिल्ली को 200 मीट्रिक टन और ऑक्सीजन मुहैया कराए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके अगले दिन यानी 1 मई को ऑक्सीजन की कमी के चलते दिल्ली के बत्रा अस्पताल में 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई. मृतकों में अस्पताल का एक डॉक्टर भी शामिल था. सभी मरीज अस्पताल की आईसीयू यूनिट में भर्ती थे.

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हाईकोर्ट ने केंद्र को जारी किया अवमानना नोटिस

ऐसे में केंद्र सरकार पर एक बार फिर दबाव बढ़ा, लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई 500 मीट्रिक टन से आगे नहीं बढ़ी. यहां तक कि जब हाईकोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर पूछा तो, केंद्र ने कहा कि मुंबई की तरह दिल्ली भी 500 मीट्रिक टन में काम चला सकती है. अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जब केंद्र सरकार ने दिल्ली को ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की तो हाईकोर्ट ने केंद्र को अवमानना का नोटिस जारी कर जिम्मेदार अधिकारियों को तलब कर दिया. साथ ही कहा कि,

“अब बहुत हो गया है. हमें अब कोई जवाब या तर्क नहीं चाहिए. अब हमें ये नहीं सुनना है कि आप दिल्ली में 700 MT ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं कर सकते हैं. हमें समाधान के अलावा और कुछ भी नहीं सुनना है. हम केंद्र को ये आदेश देते हैं कि वो चाहे कुछ भी हो जाए दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई करे.”

अब हाईकोर्ट की इस फटकार के बाद केंद्र सरकार 4 मई को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. केंद्र ने हाईकोर्ट के अवमानना नोटिस को चुनौती दी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को सुनवाई करते हुए भले ही अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी, लेकिन केंद्र सरकार से कहा कि हम आपको एक और मौका दे रहे हैं कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, आदेश का पालन होना चाहिए. साथ ही जस्टिस शाह ने कहा कि जब ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की मौत हो रही है तो ये एक नेशनल इमरजेंसी है.

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दिल्ली में पहली बार हुई ऑक्सीजन की पूरी सप्लाई

लेकिन 5 मई को ही दिल्ली में ऑक्सीजन की पूरी सप्लाई कर दी गई. यानी जितनी पहले डिमांड की गई थी, उतनी सप्लाई हो गई. दिल्ली सरकार ने बताया कि 5 मई को दिल्ली में 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई हुई. यानी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई बार कहने के बाद पहली बार दिल्ली में 700 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाई गई. हालांकि दिल्ली सरकार ने अब बताया है कि डिमांड 976 मीट्रिक टन की है.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें उन्होंने इसके लिए धन्यवाद दिया, लेकिन कहा कि रोजाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराई जाए. इसमें आगे किसी भी तरह की कटौती न की जाए.

तो कुल मिलाकर कई लोगों की मौत और कोर्ट से फटकार के बाद दिल्ली को उसकी पूरी सांसे मिल गईं. लेकिन अब ये देखना होगा कि आगे भी इतनी ही ऑक्सीजन मिलती है या नहीं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो दिल्ली और केंद्र की ये लड़ाई फिर से जारी रहेगी और इसके बीच दिल्ली की आम जनता को पिसना पड़ेगा.

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