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दादा जब आपके हाथ में है कमान, तब तो ऐसे न जाए कप्तान

विराट vs गांगुली से क्रिकेट फैंस दुखी

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ये जो इंडिया है ना, यहां हम क्रिकेट के लिए दीवाने हैं और अपने क्रिकेट स्टार्स के लिए ये दीवानगी और भी ज्यादा है और इसी लिए, इस वक्त भारतीय क्रिकेट के दो बड़े सितारों के बीच जो हो रहा है, उसे देख कर हम सब भारतीय क्रिकेट फैंस निराश हैं.कोहली को वनडे का कप्तान होना चाहिए या नहीं? क्या Rohit Sharma को कप्तानी सौंपने का ये सही समय है या नहीं? क्या Team India के लिए दो अलग कप्तान सही आइडिया है?

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क्या Virat Kohli का डिप इन फॉर्म असली कारण है, या फिर T20 वर्ल्ड कप में टीम की नाकामी? एक्चुअली, सवाल 'क्यों' का है ही नहीं. सवाल है कैसे? कोहली को जिस तरह से हटाया गया, BCCI ने फिर एख बार कप्तानी का मामला जिस गलत अंदाज में निपटाया है, उससे फैंस नाराज हैं, निराश हैं.

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कोहली T-20 की कप्तानी छोड़ने का ऐलान करते हैं, लेकिन वनडे की कप्तानी जारी रखने की इच्छा जाहिर करते हैं. लेकिन फिर खबर आती है

  • रोहित शर्मा होंगे वनडे और T-20 के कप्तान. बोर्ड कहता है टीम इंडिया में सफेद गेंद क्रिकेट के दो कप्तान नहीं हो सकते. गांगुली कहते हैं

  • कोहली को बोला था, T-20 की कप्तानी ना छोड़े. कोहली कहते हैं- ऐसी कोई बात नहीं हुई थी. अब फैन्स आखिर सोचें तो क्या सोचें? क्या इन दोनों सितारों में से एक झूठ बोल रहा है? कोहली कहते हैं

  • वनडे की कप्तानी से हटाने की बात उन्हें पब्लिक से डेढ़ घंटे पहले बताई गई.

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हमें ये भी पता चलता है कि रोहित शर्मा साउथ अफ्रीका में टेस्ट नहीं खेलेंगे और कोहली वनडे नहीं खेलेंगे. तो क्या ये दोनों के बीच दरार का संकेत है? क्या ये दोनों एक-दूसरे की कप्तानी के अंडर खेलना नहीं चाहते? BCCI चुप रहता है. कुछ दिन बाद कोहली कहते हैं वो वनडे खेलेंगे. जी हां, अच्छा-खासा रायता फैला रखा है?

टाइमिंग देखिए - जब टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका जाने वाली है, तभी यह सास-बहू का ड्रामा हो रहा है... ध्यान रहे हम दक्षिण अफ्रीका में अब तक टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाए हैं. हमारे पास अच्छी टीम है, हमने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में हराया है, हम इंग्लैंड में, इंग्लैंड के खिलाफ भी 2-1 से आगे रहे. लेकिन खिलाड़ियों को खेल पर फोकस करने देने के बजाए, हम क्या कर रहे हैं?

हम उनके दिमाग में कंफ्यूजन मचा रहे हैं – टीम को कोहली-BCCI, कोहली-रोहित की तनातनी वाली मीडिया रिपोर्ट्स दिख रही हैं.

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  • क्या खिलाड़ी कोहली से नाखुश हैं?

  • क्या टीम खेमों में बंट चुकी है?

  • क्या कोई कोहली का फेवरेट है?

  • क्या कोई रोहित का फेवरेट है?

वे नहीं जानते कि कोहली खुद इस वक्त क्या सोच रहे हैं. क्या BCCI इस वक्त खिलाड़ियों के साथ अच्छे टच में है? उनके डाउट्स क्लीयर कर रही है? शायद नहीं. मेरा डर है कि टीम इंडिया इस वक्त कंफ्यूजन में है, टीम का ध्यान दक्षिण अफ्रीका को हराने के बजाय, कोहली-रोहित-गांगुली विवाद में अटका हुआ है.

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दूसरी ट्रैजेडी ये है कि ये जो इंडिया है ना, वह इतिहास से सीखता नहीं है. इस बार यह और ज्यादा सरप्राइजिंग है, क्योंकि दादा, सौरव गांगुली, BCCI चीफ हैं और उन्हें अच्छे से याद होगा कि BCCI भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन से कितना खराब व्यवहार कर सकता है.

रिवाइंड करके 2005 में चलते हैं-

गांगुली कैप्टन थे. कोहली की तरह सफल और लोकप्रिय थे. ग्रेग चैपल कोच थे, और दोनों के बीच टकराव हो रहा था. चैपल चाहते थे कि गांगुली कप्तानी छोड़ दें और अपनी बैटिंग पर फोकस करें. ऐसी खबरें थीं कि चैपल और गांगुली दोनों टीम छोड़ने की धमकी दे रहे थे. फिर एक ईमेल लीक हुआ - चैपल ने BCCI को मेल किया कि भारतीय टीम का नेतृत्व करने के लिए सौरव गांगुली फिजिकली और मेंटली अनफिट हैं.

चैपल ने कहा कि गांगुली इंजरी का नाटक कर रहे हैं और टीम के सदस्य अब उनकी रिस्पेक्ट नहीं करते हैं. और ये विस्फोटक ईमेल लीक कर दिया गया. हमें नहीं पता कि ये ईमेल BCCI ने लीक किया या चैपल ने, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद गांगुली को वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया, और टेस्ट की कप्तानी भी उनसे छीन ली गई.

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साफ है कि BCCI ने उस वक्त गांगुली-चैपल के टकराव को ठीक से नहीं हैंडल किया और गांगुली के साथ बुरा बर्ताव हुआ. तो फिर दादा के BCCI चीफ रहते हुए भी, यही कहानी फिर से रिपीट क्यों हो रही है?

और यह पहले भी हो चुका था - जैसा कि अभिषेक मुखर्जी, द क्विंट के लिए लिखते हुए याद कराते हैं

1974 में अजीत वाडेकर ने, इंग्लैंड से 3-0 सीरीज हारने के बाद, अपनी कप्तानी भी खो दी, नेशनल टीम में अपनी जगह भी खो दी, यहां तक कि वेस्ट जोन की टीम से भी उन्हें हटा दिया गया! 1979 में गावस्कर ने एयरपोर्ट के एक अनाउंसमेंट में सुना कि वो कप्तानी खो चुके थे! यहां तक कि तेंदुलकर को भी 1997 में न्यूज रिपोर्ट से ही पता चला कि उन्होंने कप्तानी खो दी है.. BCCI से नहीं.

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ये जो इंडिया के हम क्रिकेट फैंस है ना… हम जानते हैं कि कभी ना कभी हमारा पसंदीदा कप्तान बदलेगा. वो ठीक है. हम बस इतना चाहते हैं कि BCCI इन बदलावों को पारदर्शिता और गरिमा के साथ संभाले. ताकि कप्तानी में बदलाव से टीम को हर बार तनाव या कंफ्यूजन से न गुजरना पड़े. कम ऑन दादा.. आपने अपनी कप्तानी से भारतीय क्रिकेट को बदला था, यही अब BCCI का दादा बनकर भी करो!

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