‘बलात्कार महज शरीर का जख्म नहीं, बेबस महिला की आत्मा को कुचल देता है बलात्कारी’. रेप की हर खबर के साथ मुझे दिल्ली की एक कोर्ट की ये टिप्पणी याद आती है. हाल में हरियाणा में गैंगरेप और मर्डर की कुछ ऐसी वारदात हुईं जिन्होंने वहशीपन की हदें पार कर दीं. इन घटनाओं को लेकर पुलिस, सरकार, सियासत, जो कर रहे हों या ना कर रहे हों लेकिन समाज क्या कर रहा है? यही सवाल पूछ रहा है एक शर्मसार हरियाणवी.
भाइयों, ये हो क्या रहा है. ऐसा तो नहीं था हमारा हरियाणा. ये तो वही धरती है ना, जहां द्रौपदी की इज्जत के लिए महाभारत हो गई थी. उस धरती पर ऐसी दरिंदगी? एक के बाद एक गैंगरेप, बलात्कार, मर्डर और वो भी बच्चियों से.
जींद में 15 साल की बेटी के साथ जैसी दरिंदगी हुई उसे सुनकर कलेजा मुंह में आता है. ऐसा टॉर्चर, जो ना मुझसे बताया जाएगा ना आपसे सुना जाएगा. नहर के पास खून से लथपथ लड़की का शव मिला. पोस्टमार्टम में पता चला कि वहशियों ने उसके प्राइवेट पार्ट में हथियार घुसा दिया, उसका लीवर फट गया. इतना वहशीपन कि बताते हुए मेरी आत्मा कांपती है.
और पानीपत?
पानीपत की वारदात सुनकर तो मुझे अपने हरियाणवी होने पर शर्म आती है. 11 साल की मासूम बच्ची से रेप? रेप के बाद बच्ची की हत्या. और फिर उसके शव के साथ 4 घंटे तक रेप. भाइयों, ये इंसानों की ही बस्ती है या कहीं से हैवान आकर रहने लगे इसमें. और कहीं से आके क्या रहने लगे, हम खुद ही हैवान हो गये.
पिंजौर के पास 10 साल की मासूम के साथ 50 साल के पड़ोसी ने रेप किया. अरे पागल, गुड़िया से खेलने की उम्र होती है 10 साल. और तू उसमें उसकी जिंदगी से खेल गया.
फरीदाबाद में तो गुंडागर्दी की हद ही हो गयी. पुलिस को डूब के मर जाना चाहिए और हमे भी. ऑफिस से घर लौट रही थी एक लड़की. राजीव चौक से सरेआम उसे अगवा कर लिया गया. चलती कार में 2 घंटे तक गैंगरेप किया और सड़क पर फेंक कर भाग गए. जैसे वो कोई जीती जागती लड़की ना होकर भूसे की बोरी हो.
‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ एक दिखावा!
फतेहबाद में रेप, हिसार में रेप, गुड़गांव में रेप, भिवानी में रेप. अरे, हम बेटियों को पेट में मारने के लिए तो पहले ही बदनाम थे. अब जिंदा बेटियों को मारने की बदनामी भी ले लो. पहले रेप करो फिर मार दो.
अब हरियाणा में किसी दीवार पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ लिखा देखो तो रुक के उसे मिटा देना. हमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कहने का कोई हक नहीं है.
जाटों-दलितों के झगड़े, राम-रहीम जैसे उचक्के बाबाओं की करतूतें, खाप पंचायतों के कारनामे क्या कम थे? अब ये गैंगरेप और मर्डर भी होने लगे.
ना.. ये छोटी बदनामी नहीं है. साक्षी मलिक, साइना नेहवाल, गीता फोगाट, सविता पूनिया, पिंकी जांगड़ा जैसी बेटियां अब कहीं बाहर देश में खेलने जाएंगी, तो उन्हें बताने में शर्म आएगी कि वो हरियाणा से हैं.
हम कहा करते- ‘देसां में देस हरियाणा, जित दूध दही का खाणा’. अब उसमें जोड़ दो- ‘देसां में देस हरियाणा, जहां मुश्किल है बेटियों को बचाना’.
हम कहते थे- ‘हमारा तो एक ही कल्चर, और वो है एग्रीकल्चर’. अब उसमें एक लाइन और जोड़ दो- यहां बेटियों को मत लाना, यहां रहते हैं ‘वल्चर’.
कई साल पहले जब मैं हरियाणा से दिल्ली आया था, तो छाती ठोककर कहता था कि ‘भाई, मेरा हरियाणा तो एकदम साफ-सुथरा है. वहां रेप, मर्डर तो छोड़ो, चोरी तक नहीं होती. लेकिन अब मैं क्या कहूंगा?’
कैमरा- शिव कुमार मौर्या
वीडियो एडिटर- पूर्णेंदु प्रीतम
प्रोड्यूसर- नीरज गुप्ता
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