आपको यह सुनकर जरा भी अचरज नहीं होगा कि पाकिस्तान (Pakistan) की राजनीति में एक बार फिर से ड्रामा छिड़ गया है. अगर हम आपको 15 सेकेंड में बता दें - पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) भाषण देने पर गिरफ्तार हो सकते हैं. उनके भाषणों को दिखाने पर रोक है, उनके खिलाफ देश के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत FIR है.
कोर्ट ने इमरान को 25 अगस्त तक गिरफ्तारी से राहत दी है. इन सबके खिलाफ इमरान के समर्थक सड़कों पर हैं. ओह मैंने ये तो बताया ही नहीं...मैं माफी चाहता हूं. पाकिस्तान में इतना पॉलिटिकल रायता फैला हुआ है कि 20 सेकेंड में बताना मुमकिन नहीं..तो चलिए डिटेल में बताते हैं...
खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के एक सीनियर मेंबर, शाहबाज गिल को 9 अगस्त को पुलिस ने टीवी पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कमेंट करने के बाद गिरफ्तार किया था. उनके बयान को देश की मीडिया अथॉरिटी ने देशद्रोह और नफरती करार दिया.
इस गिरफ्तारी के जवाब में, इमरान खान ने इस्लामाबाद के inspector general Of polilce और Deputy inspector general Of police पर केस करने की धमकी और कहा कि "हम आपको नहीं बख्शेंगे." उन्होंने उस जज जेबा चौधरी को भी धमकी दी जिन्होंने उनकी हिरासत को मंजूरी दी थी.
उनके भाषण के जवाब में दो बातें हुईं. सबसे पहले उनके खिलाफ रैली में उनके कमेंट को लेकर एंटी टेररिज्म कानून के तहत मामला दर्ज किया गया. और दूसरी बात, पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने शनिवार को जारी एक नोटिस में कहा कि खान के भाषण संविधान और मीडिया के लिए गाइडलाइंस के खिलाफ थे. इसके बाद सभी चैनलों पर उनके भाषणों के लाइव प्रसारण पर रोक लगा दी गई. हालांकि चैनल रिकॉर्ड किए गए भाषण अच्छी तरह से देखने के बाद चला सकते हैं.
फिर, खान के वकीलों ने protective बेल के लिए एक याचिका दायर की, जिसे इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने 25 अगस्त तक के लिए मंजूर कर लिया. हाईकोर्ट ने खान से कहा कि ये प्रोटेक्शन खत्म होने से पहले वो एंटी टेरर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं.
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इमरान का भाषण सीनियर पुलिस अफसरों और कोर्ट को ''डराने'' के लिए था, ताकि वे अपना काम न कर सकें और किसी भी पीटीआई संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से परहेज कर सकें.
दूसरी ओर, इमरान के वकीलों का कहना है कि सत्तारूढ़ गठबंधन, भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ बोलने के लिए उन्हें सरकार निशाना बना रही है.
लेकिन यहां मामला कुछ और भी हो सकता है. हाल के बाइ इलेक्शन नतीजे बताते हैं कि भले ही अप्रैल में इमरान की कुर्सी चली गई लेकिन वो और उनकी पार्टी पॉपुलर है. मिसाल के तौर पर कराची उपचुनाव में पीटीआई ने बाजी मार ली. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जुलाई में पंजाब उपचुनावों में उनकी पार्टी ने अपने विरोधियों, विशेष रूप से पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) पर प्रचंड जीत हासिल की, जिसका नेतृत्व मौजूदा प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने किया था.
कम से कम इन उपचुनावों के नतीजे तो यही दिखाते हैं कि खान अब भी सियासी जंग में टिके हुए हैं और मजबूती से टिके हुए हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सरकार इसी कारण से इमरान के खिलाफ एक्शन ले रही है. लेकिन अगर ये बात सही है तो ये सत्तारूढ़ गठबंधन पर उल्टा पड़ सकता है.
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