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भारत में 6 जगहों पर चीन का कब्जा, समझिए पूरी साजिश

क्या आपको पता चला कि ये जो इंडिया है ना, ये थोड़ा छोटा हो गया है. और चीन थोड़ा बड़ा हो गया है?

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

ग्राफिक्स: अर्निका काला

क्या आपको पता चला कि ये जो इंडिया है ना, ये थोड़ा छोटा हो गया है. और चीन थोड़ा बड़ा हो गया है? अब यह बात साफ हो चुकी है कि पूर्वी लद्दाख में देप्सांग, गलवान वैली और पेंगांग लेक में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के हमारे कंट्रोल वाले इलाके से हमारा कंट्रोल खत्म हो चुका है. इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में भी चीन की सीमा पर कम से कम तीन इलाकों में ऐसी ही स्थिति है. इनमें से किसी भी जमीन को वापस पाने के लिए भारत सरकार का पहला कदम यह होगा कि यह स्वीकार किया जाए कि बड़े पैमाने पर घुसपैठ हुई है और तब सरकार का ध्यान कहीं और था. लेकिन ऐसा कहना “कोई घुसपैठ नहीं” वाले पीएम की टिप्पणी से बिल्कुल अलग होगा. चीनी कब्जे की ये सारी घटनाएं बातचीत के टेबल पर और कैसे पहुंचेगी?

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लेकिन सबसे पहले चीन की ओर से इस कब्जे की अपडेट लिस्ट देखते है.

क्या आपको पता चला कि ये जो इंडिया है ना, ये थोड़ा छोटा हो गया है. और चीन थोड़ा बड़ा हो गया है?

चीन का कब्जा - 1

पूर्वी लद्दाख के LAC के उत्तरी छोर पर देप्सांग है. मेरी सहयोगी निष्ठा गौतम ने रिपोर्ट भेजी है कि ITBP के बुर्त्से कैंप के पास महत्वपूर्ण वाई जंक्शन पर अब चीनी सैनिकों का कब्जा है. यह भारतीय कंट्रोल वाले LAC के 15 किलोमीटर के दायरे में है. इसे ‘बॉटल नेक’ भी कहा जाता है क्योंकि यहां से गुजरते हुए ही ITBP के जवान पेट्रोल प्वाइंट्स 10, 11, 12 या 13 तक जाते हैं. पहले दोनों सेनाएं इस इलाके में पेट्रोल करती थीं लेकिन अब अप्रैल महीने के बाद से ही चीनियों ने ITBP को इस प्वाइंट से आगे जाने से रोक दिया है.

क्या इस मसले को लेकर भारत सरकार तब चीन के पास गयी? या अब ऐसा कर रही है? हमारे पास जवाब नहीं है.

इसके बजाए सूत्रों का कहना है कि ITBP को कह दिया गया है कि झड़प से बचें और पेट्रोल प्वाइंट्स 10,11, 12 और 13 पर पेट्रोल न करें. चीन इससे पहले भी ऐसा कर चुका है जब उसने 2013 में राकी नाला इलाके में इसी Y-जंक्शन पर कब्जा जमाया था लेकिन उन्हें 21 दिन में पीछे धकेल दिया गया था. लेकिन इस बार, 90 दिन बाद भी वे वही हैं. यह भी नोट करें कि देप्सांग पर कंट्रोल के बाद भारत के लिए महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी एअर बेस के लिए चीन खतरा बन जाता है.

वहीं देप्सांग पर भारत की मौजूदगी से चीन के नियंत्रण वाला काराकोरम पास हमारे हमले के दायरे में आ जाता है.
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चीन का कब्जा - 2

गलवान वैली में ठीक पेट्रोल प्वाइंट 14 पर चीन ने बड़ा कैंप बना लिया है जहां निगरानी वाले पोस्ट पर बंदूकें तैनात कर दी गयी हैं. भारतीय सैन्य टुकड़ी ने 15 जून को यही पोस्ट नष्ट कर दी थी. इसी जगह पर लड़ाई के दौरान भारत ने अपने 20 जवानों को एक ऐसे समय में खोया, जब दोनों देशों के जनरलों और राजनयिक में बातचीत चल रही थी. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों और ग्राउंड रिपोर्ट से यह बात साफ हो रही है. और, चूकि LAC पर पेट्रोल प्वाइंट 14 भारत की ओर है इसलिए यह घुसपैठ है.

यह भी नोट करें कि बातचीत के लिए चीन ने पहले ही अपना मकसद बदल लिया है. चीन अब गलवान नदी जहां श्योक नदी से मिलती है वहां LAC बता रहा है यानी वो पूरी गलवान घाटी पर दावा कर रहा है. गलवान की पहाड़ियों पर नियंत्रण के बाद चीन भारत के लिए महत्वपूर्ण दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड के लिए खतरा बन जाएगा. तो इस कब्जे को भारत स्वीकार करेगा? नहीं.

क्या आपको पता चला कि ये जो इंडिया है ना, ये थोड़ा छोटा हो गया है. और चीन थोड़ा बड़ा हो गया है?

चीन का कब्जा - 3

पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर स्थिति बहुत स्पष्ट रही है और उसके पूरे दस्तावेज भी हैं. चीनी सेना का अब फिंगर 4 और फिंगल 8 के बीच के इलाके पर नियंत्रण है. LAC के पश्चिम में 8 किलोमीटर का इलाका फिंगर 8 से होकर गुजरता है. भारतीय सेना की पेट्रोलिंग अब फिंगर 4 तक रोक दी गयी है. फिंगर 8 तक अब पेट्रोलिंग की इजाजत नहीं है. 40 वर्ग किमी का भारतीय इलाका अब हमारे नियंत्रण में नहीं है.

चीन ने अब No Man’s Land कहे जाने वाले इस पूरे इलाके में चोटियों पर, और झील के किनारे सेना की चौकियां बना ली हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी ताजा रिपोर्ट में लिखा गया है कि चीन ने ने फिंगर 4 पर एक हेलीपैड भी बना लिया है. जबकि भारतीय सेना के सूत्रों का दावा है कि उसने लद्दाख में LAC पर हरेक सेक्टर में PLA की ओर से सेना की टुकड़ियों की अतिरिक्त तैनातियों, गोला बारूद और हथियारबंद गाड़ियों के मुकाबले अपनी स्थिति को बराबरी पर ला दिया है. सच्चाई यह है कि चीन ने वास्तव में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय क्षेत्र के एक बड़े हिस्से को हथिया लिया है और हमसे चाहता है कि यह सब स्वीकार करें और यही यथास्थिति रहे.

अब हम अपना ध्यान 2000 किमी पूरब की ओर अरुणाचल प्रदेश की ओर करते हैं.

चीन का दावा है कि समूचा अरुणाचल प्रदेश उसका इलाका है, जिसे भारत खारिज करता है. अरुणाचल का उत्तरी सीमा मैकमोहन लाइन के तौर पर जाना जाता है जो चीन के साथ भारत की सीमा है और उम्मीद की जाती है कि चीन इसका सम्मान करे. लेकिन जैसा कि क्विंट के लिए रिपोर्ट कर रहे पत्रकार राजीव भट्टाचार्य लिखते हैं चीन ने अरुणाचल में भी भारतीय इलाके में घुसपैठ की है. भट्टाचार्य ने 3 बड़ी घुसपैठ की सूची बतायी है जिसके बारे में भारत की सरकारों ने तकरीबन कुछ भी नहीं किया है.

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चीन का कब्जा - 4

ये चौथा कब्जा है अरुणाचल के अंजाव जिले में, जहां कई नई सड़कों के अलावा चीन की तरफ सैन्य टुकड़ियों की तैनाती बढ़ी है. पीएलए ने भारतीय इलाका छगलगाम पर भी कब्जा कर लिया है जहां वह नदी पर पुल बना रहा है. 2009 से चीन ने काहो स्थित हंड्रेड हिल की पहाड़ियों पर भी कब्जा कर लिया है जिसकी पुष्टि 2019 में ही स्थानीय लोग भट्टाचार्य से कर चुके हैं.

क्या आपको पता चला कि ये जो इंडिया है ना, ये थोड़ा छोटा हो गया है. और चीन थोड़ा बड़ा हो गया है?

चीन का कब्जा - 5

पांचवां कब्दा अंजाव के पश्चिम में दिबांग वैली डिस्ट्रिक्ट है. यहां भी बॉर्डर से सटा एक इलाका है जिसे एंड्रेला घाटी कहते हैं, उस पर चीन ने कब्जा कर लिया है.

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चीन का कब्जा - 6

छठां कब्जा ऊपरी सुबांसिरी जिले में हुआ है और ये जगह हैं असफिला, लोंगजू दिसा, और माजा स्थानीय अधिकारी कहते हैं कि PLA 1980 के बाद से पूरी सीमा में धीरे-धीरे बढ़ता गया है और अब वह भारतीय इलाके में 50 से 60 किमी तक घुस चुका है.

विडंबना यह है कि जमीन हथियाने की इन घटनाओं को अरुणाचल के बीजेपी सांसद तापिर गाओ ने 2019 में उजागर किया था. लेकिन, उनके अपने ही वरिष्ठ साथी और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने तब कहा था- कोई घुसपैठ नहीं हुई है. प्रधानमंत्री की ‘कोई घुसपैठ नहीं’ वाली टिप्पणी की तरह कोई उम्मीद ही कर सकता है कि रिजिजू के दावे से जमीनी हकीकत अलग न हो.

अरुणाचल में दूसरी समस्या यह है कि अंजाव, दिबांग वैली और ऊपरी सुबांसि के इलाकों में सीमा पर या तो सड़कें नहीं हैं या फिर बहुत खराब हैं. और, भारतीय सेना की बहुत कम चौकियां वहां हैं. और चीन की ओर से जमीन हड़पने की घटना चालाकी से वहीं होती हैं जहां भारतीय सेना नहीं है. लेकिन अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ को भारत की सरकार नकार क्यों रही है? क्या इन इलाकों में सेना की मौजूदगी बढ़ाने की कोई योजना है? हमें नहीं मालूम.

ये जो इंडिया है ना... लद्दाख और अरुणाचल में चीन की जमीन हथियाने की रणनीति से निबटने को लेकर संघर्ष कर रहा है... और, हम जितना संकोच दिखलाएंगे, हमें उतना ही नुकसान होगा.

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