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UN शांतिरक्षक अभियानों में भारत के योगदान को जानकर आपको गर्व होगा

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियान में भारत का योगदान

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियान में 1950 से भारत का खासा योगदान रहा है. संयुक्त राष्ट्र के 50 से ज्‍यादा शांति मिशन में भारत की भागीदारी रही है. लगभग 2,00,000 जवानों के साथ भारत सबसे ज्यादा योगदान करने वाला देश रहा है.

चलते हैं 1950 में

आज यूएन शांतिरक्षकों का अन्तराष्ट्रीय दिवस है. आइए देखते हैं संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियान में भारत के योगदान की एक झलक.

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कोरियाई युद्ध (नवंबर 1950 - जुलाई 1954) के दौरान भारत ने देश का 60 वां फील्ड एम्बुलेंस यूनिट उतारा था, जिसमें 17 अधिकारी, 9 JCO (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) और 300 जवान तैनात किए गए थे. 10 मार्च, 1955 में इस यूनिट को राष्ट्रपति की ट्रॉफी भी मिली, जो तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दी थी. ये अब तक का एक अकेला एसा मिशन है, जिसे राष्ट्रपति की ट्रॉफी मिली है.

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इंडो-चाइना (1954 -1970): भारत ने वियतनाम, कम्बोडिया, लाओस में यूएन फोर्स की मदद के लिए सपोर्टिंग स्टाफ भेजा था, जिसमें 970 अधिकारी, 140 जेसीओ, 6157 जवानों को तैनात किया गया था.

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मिडिल-ईस्ट (1956 - 1967): भारत संयुक्त राष्ट्र की आपातकालीन सेना का हिस्सा था. ये पहली बार था, जब भारत ने हथ‍ियारों से लैस एक दल को मिडिल-ईस्ट में भेजा था. 11 साल में भारत के 393 अधिकारी, 470 जेसीओ, 12,383 जवानों ने इसमें भाग लिया था.

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मिशन UNOC कांगो (1960 -1964) : आईएएफ के 6 कैनबरा बॉम्बर एयरक्राफ्ट तैनात किए गए थे, जिसमें 467 अधिकारी, 401 जेसीओ, 11354 जवानों ने भाग लिया था. मिशन के दौरान संघर्ष में 39 सैनिक शहीद हो गए थे.

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मिशन UNTAC, कम्बोडिया (1992 - 1993): कम्बोडिया में भारतीय टीम ने सीजफायर की निगरानी की थी और चुनाव के दौरान कम्बोडिया की मदद भी की. इस मिशन के लिए 1,373 जवान लगाए गए थे.

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मिशन UNITAF - सोमालिया (1993 - 1994): संयुक्त भारतीय सेना और नेवी फोर्स ने इस ऑपरेशन में बड़ा योगदान दिया. इस मिशन के लिए भारत के 5,000 जवान, 4 युद्धपोत तैनात किये गए थे.

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मौजूदा अभियान में भारत का योगदान

मिशन UNIFIL-लेबनान (दिसंबर 1998 से जारी): भारत के 1 इन्फैंट्री बटालियन, लेवल II हॉस्पिटल और 670 शांतिरक्षक तैनात किए गए हैं. फिलहाल सीरियाई संकट की वजह से मिशन अस्थिर है.

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मिशन UNOCI- आइवरी कोस्ट (अप्रैल 2004 से जारी): भारत की दो इन्फेंटरी बतेलियन, सेक्टर एचक्यू, लेवल 2 हॉस्पिटल और बड़ी संख्या में मिलिट्री ऑब्जर्वर और स्टाफ यहां सेवा दे रहे हैं.

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मिशन MONUSCO - कांगो (जनवरी 2005 से जारी) : भारत के 4 इन्फैंट्री बटालियन, लेवल III हॉस्पिटल, यूटिलिटी हेलिकॉप्टरों को तैनात किया गए हैं.

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मिशन UNMIS - सूडान (अप्रैल 2005 से जारी) : भारत की 2 इन्फैंट्री बटालियन, लेवल II हॉस्पिटल जैसी सेवायें भारतीय शांतिरक्षक दे रहे हैं. हालांकि सूडान में जातीय संघर्ष की वजह से मिशन अस्थिर है.

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मिशन UNMIL-लाइबेरिया (अप्रैल 2007 से जारी): भारत के पुरुष और महिला पुलिस इकाइयों को इस ऑपरेशन में नियुक्त किया गया है. इसमें रैपिड एक्शन फोर्स की विशेष इकाई भी तैनात है.

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कुछ गुमनाम नायक

कैप्टन गुरबचन सिंह सिर्फ ऐसे संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक थे, जिन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया है. 5 दिसम्बर, 1961 में कांगो क्राइसिस में वो शहीद हो गए.

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168 भारतीय सैनिकों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापना के लिए अपनी जान दे दी.

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2019 तक संयुक्त राष्ट्र मिशन में महिला शांतिरक्षकों की संख्या भारत दोगुना करेगा. 125 भारतीय महिला शांतिरक्षकों वाले दल की लाइबेरिया में तैनाती हुई है.

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र मिशन में 11 फोर्स कमांडर, 5 डिप्टी कमांडर और 3 मिलिट्री सलाहकार तैनात किए हैं. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत की ओर से नियुक्त 2 पुलिस सलाहकारों में से एक किरण बेदी थीं.

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