राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के पोते पार्थ पवार पहली बार इस लोकसभा चुनाव में मावल सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं. विदेशों में पढ़ाई कर चुके 27 साल के पार्थ मराठी में लिखे अपने पहले चुनावी भाषण को पढ़कर बोलने में फंस गए. इस कारण वो अपने मन की बात जनता को कह नहीं पाए और चंद मिनट के भीतर ही अपना पहला भाषण समाप्त कर दिया. उनकी कमजोर मराठी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है और ट्रोलिंग का भी सामना करना पर रहा है.
ट्रोलिंग से दवाब में हैं पार्थ
लोकसभा चुनाव 2019 से डेब्यू कर रहे पार्थ पवार ने अपने पहले भाषण के बाद क्विंट हिंदी से बात की और अपना अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि ये काफी मुश्किल है मगर उतना भी मुश्किल नहीं. पहले भाषण के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के शिकार पार्थ ने कहा कि इससे वो दबाव महसूस कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने इससे हो रही मुश्किलों को भी स्वीकार किया। हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि वो ट्रोलिंग से घबराने वालों में से नहीं हैं. अपने पहले भाषण में हुई गलती को लेकर पार्थ ने कहा कि आने वाले समय में वो इसमें सुधार करेंगे. उन्होंने कहा कि पहली बार जब कोई भाषण देता है तो ऐसी गलती की संभावना रहती है. पार्थ का दावा है कि उन्होंने अपने पहले भाषण की गलतियों को अगले भाषणों में नहीं दोहराया. क्रिकेट प्रेमी पार्थ ने क्विंट को बताया कि विराट कोहली भी पहले ओवर में शतक नहीं लगाता है. उसे भी उसके लिए समय की जरूरत होती है. उन्होंने इसी तर्ज पर अपने लिए भी राजनीति की पिच पर कम से कम एक साल का समय मांगा है.
राज ठाकरे के फैन हैं पार्थ
कोई ताज्जुब नहीं कि अपने पहले चुनावी भाषण में ठीक से मराठी न बोल पाने वाले पार्थ को धारा प्रवाह मराठी बोलने वाले राज ठाकरे पसंद हैं. क्विंट से बातचीत में पार्थ ने माना कि उन्हें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के भाषण देने के अंदाज बेहद पसंद है साथ ही उनकी मराठी भी उन्हें प्रभावित करती है
पार्थ के लिए शरद पवार ने चुनाव न लड़ने का किया फैसला?
मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि मुझे टिकट चाहिए ही चाहिए, पवार साहब को लगा की ये निर्णय पार्टी के लिए अच्छा है.पार्थ पवार, प्रत्याशी, मावल लोकसभा
लोकसभा चुनाव 2019 में एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. पार्थ पवार को टिकट मिलने को लेकर बीजेपी के नेताओं ने एनसीपी पर भी परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. क्विंट हिंदी से बातचीत में पार्थ ने इस आरोप को बीजेपी का प्रोपेगेंडा बताया. उन्होंने कहा कि एनसीपी में परिवारवाद जैसी कोई चीज नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए टिकट को लेकर उन्होंने कभी भी किसी तरह की मांग नहीं की, बल्कि यह फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार का है.
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