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मध्य प्रदेश: संकट में फंसे पापा की मदद करने उतरे उनके बेटे

मध्य प्रदेश में विकास, रोजगार और किसानों के मुद्दे पर तो बीजेपी-कांग्रेस भिड़ते दिख रहे हैं.

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मध्य प्रदेश में विकास, रोजगार और किसानों के मुद्दे पर तो बीजेपी-कांग्रेस भिड़ते दिख रहे हैं. लेकिन एक ऐसा मुद्दा है जिसपर दोनों ही बोलने की हालत में नहीं हैं वो है- ‘वंशवादी राजनीति’. दोनों ही पार्टियों की तरफ से दिग्गज नेताओं के परिवारवालों को टिकट बांटे गए हैं, ऐसे में जब क्विंट इन सवालों के जवाब नेताओं से तलाशता है तो वो एक दूसरे की पार्टी पर आरोप लगाने लगते हैं. मध्य प्रदेश की चुनावी कवरेज के दौरान हमने शिवराज सिंह, दिग्विजय सिंह और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गजों की राजनीतिक विरासत संभालने को तैयार दिख रहे उनके बेटों से बातचीत की.

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कार्तिकेय चौहान, शिवराज सिंह चौहान के बेटे

शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय वैसे तो इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं है. लेकिन कानून की पढ़ाई कर लौटे कार्तिकेय ने पिता की जगह प्रचार की कमान संभाल ली है. बुधनी विधानसभा सीट पर वो जमकर प्रचार कर रहे हैं. पिता की विरासत संभालने के सवाल पर शिवराज के बेटे कहते हैं,

कई बार लोग ये कहते हैं कि मैं परिवारवाद का एक नतीजा हूं लेकिन वो ये नहीं समझ पाते कि जो चौहान नाम है, उसका बोझ काफी भारी है. अगर मैं आगे सेवा में आता हूं जनता की, चाहे किसी भी रूप में, चाहे वकील के रूप में चाहे, नेता के रूप में, तो निश्चित रूप मेरी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. लोग मुझसे वैसी ही उम्मीद रखते हैं जैसी मेरे पिताजी से रखते हैं और मैं उन उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा.  
कार्तिकेय चौहान
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जयवर्धन सिंह, दिग्विजय सिंह के बेटे

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ सीट से विधायक हैं. महज 27 साल की उम्र में ही विधानसभा पहुंच गए थे जयवर्धन. इस बार भी चुनावी ताल ठोक रहे हैं. दिल्ली, मुंबई फिर विदेश से पढ़ाई कर लौटे जयवर्धन क्विंट से कहते हैं कि उनका दिल तो अपने क्षेत्र के लिए ही धड़कता है. विरासत में मिली राजनीति के सवाल पर जयवर्धन, बीजेपी पर सवाल उठाते दिखते हैं,

बीजेपी में बहुत वंशवाद है, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे को इंदौर से टिकट मिला है. हर दल में ऐसा होता है, एसपी को देख लीजिए, बीएसपी को देख लीजिए. किसी भी दल को देख लीजिए. बात वंशवाद की नहीं है, बात ये है कि अगर हम चुनाव लड़कर जीत रहे हैं तो इसमें क्या बुराई है. बिना चुनाव लड़े हमें बड़ा पद मिल जाए तो ये गलत बात है.
जयवर्धन सिंह
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आकाश विजयवर्गीय, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे

मध्य प्रदेश के इंदौर-3 विधानसभा सीट से कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश बीजेपी प्रत्याशी हैं. कैलाश विजयवर्गीय फिलहाल, बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल में कमान संभाल रहे हैं, ऐसे में उनके बेटे आकाश, उनकी जगह चुनावी जंग में हैं. वंशवाद के सवाल पर आकाश विजयवर्गीय कहते हैं,

पार्टी सर्वे करती है, कौन सा कैंडिडेट कहां से जीतता है. उस सर्वे में मेरा नाम आया, उस पर पार्टी ने विचार किया और माननीय कैलाश विजयवर्गीय से चर्चा की कि पार्टी उन्हें टिकट देगी या मुझे (आकाश विजयवर्गीय) टिकट देगी. क्योंकि बीजेपी परिवारवाद को आगे नहीं बढ़ाती है. उन्होंने कहा कि अब सर्वे में इसका नाम है तो इसे ही टिकट दें मैं संगठन में काम करूंगा, क्योंकि कोलकाता की जिम्मेदारी उनके पास है और वो चाहते हैं कोलकाता में कमल खिले, इसलिए पार्टी ने मुझे यहां से टिकट देने का फैसला किया.
आकाश विजयवर्गीय

मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को वोटिंग है, नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे.

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