वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
आस्था की नगरी प्रयागराज में कुंभ मेला सज चुका है. कुंभ का नाम सुनते ही गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम, शाही स्नान और नागा साधु जेहन में दौड़ जाते हैं. ऐसे में क्विंट के साथ कुंभ की सैर करिए, यहां हम आपको ऐसे अजब-गजब साधुओं से मिलवाएंगे, जिनके बारे में आपने अबतक सिर्फ सुना ही होगा.
हम आश्रम में पढ़ते थे संन्यास का आश्रम था, वहां की व्यवस्था अच्छी लगी. कुछ सत्संग मिला कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ संन्यास वहां से प्राप्त हो गयासावन भारती, नागा बाबा
गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड जैसे देश के अलग-अलग हिस्सों से कुंभ में शामिल होने आए ये साधु-संतों के रंग-ढंग, अलग-अलग पहनावे और रहन-सहन भी अनोखा है.
अब इनसे मिलिए ये बाबा 12 साल से खड़े होकर तप कर रहे हैं-
रिपोर्टर: कहां से आये हैं?
मैं राजस्थान से हूं. मैं इसलिए खड़ा हूं कि धर्म की जय हो, अधर्म का विनाश हो. जगत कल्याण के लिए साधु-संत करते हैं, सालों तक तपते हैं 2022 में कुंभ है तब तक खड़ा रहूंगा.
ये हैं रुद्राक्ष वाले बाबा
चेतन गिरी जो एक नागा साधु हैं. क्विंट से बातचीत में बताया कि उनके सिर पर करीब 7500 रुद्राक्ष हैं.
रिपोर्टर: कितने वर्षों से तपस्या कर रहे हैं आप?
मैं 42 साल से तपस्या कर रहा हूं रिपोर्टर: अभी आपकी उम्र कितनी है?मेरी 53 साल की उम्र है 11 साल की उम्र में निकल चुका था
रिपोर्टर: ये रुद्राक्ष जो धारण किए हैं इनका कोई विशेष महत्व?इसका विशेष महत्व ये है कि मां सती के युग में भगवान शंकर रोये तो उनके ही आंसू से रुद्राक्ष प्रकट हो गए. इसको पहनने से भक्ति अटल होती है, अभी हमारे पास 7500 रुद्राक्ष हैं.
इनके बाद हमें कुंभ में बाबा अमर भारती से मिलने का मौका मिला इनकी तपस्या देखकर आप दंग रह जाएंगे. ये जो तपस्या कर रहे हैं उसका नाम है ‘उर्ग बाहू’. इन्हें तपस्या करते हुए 50 साल हो गए हैं और अभी इनकी उम्र 70 साल है.
ये उर्ग बाहू तपस्या है, हमारे यहां आरती में इसकी विशेष प्रार्थना होती है सतयुग में भी तपस्या की लोगों ने, द्वापर में त्रेता में और अब कलयुग में संध्या आरती करते हैं. प्रातःकाल आरती करते हैं ये सिर्फ हमारी तपस्या नहीं है, ये परंपरा को ही चला रहे हैं.अमर भारती, तपस्वी
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