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पाकिस्तान चुनाव: ये दलित हिंदू महिलाएं, दिग्गजों को दे रहीं चैलेंज

‘हमारे साथ अन्याय हो रहा था. बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे थे. जबरन शादियां, जबरन धर्मांतरण जैसी नाइंसाफी थी.’

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कैमरा: अहमद सईद और उमर बिन अजमल
प्रोड्यूसर: गर्विता खैबरी
वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

मीरपुर खास. पाकिस्तान का एक शहर. जो इन दिनों दिलचस्प चुनावी नजारों का गवाह बन रहा है. कुछ दलित हिंदू महिलाएं पाकिस्तान के आम चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. लेकिन वो कोई आम नेता नहीं. ये एक आंदोलन से उपजी राजनीति है. दलित सुजाग तहरीक नाम का आंदोलन जो शहर और समाज की बेहतरी के लिए चलाया गया था.

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राधा भील और लेलन लुहार, दोनों सिंध के इस इलाके से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में खड़ी हुई हैं. 2016 में दलित महिलाओं ने शुरू किया 'दलित सुजाग तहरीक' दलित समाज के मुद्दों को सामने लाने वाला आंदोलन

हमारे साथ अन्याय हो रहा था. बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे थे. जबरन शादियां, जबरन धर्मांतरण जैसी नाइंसाफी थी. अभी हमारा इरादा अपनी पार्टी बनाने का है. सभी गरीबों, मुस्लिम, सिख, ईसाइयों को इसमें शामिल करना चाहते हैं.
राधा भील, इंडिपेंडेंट कैंडिडेट

DST का पहला एजेंडा है दलित औरतों को सशक्त बनाना है. 5 में से 3 उम्मीदवार DST के तले चुनाव लड़ रही हैं. एक लोहार जिनकी नजर नेशनल असेम्बली पर है और उनका मुद्दा है, समाज में बाल विवाह, अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे परेशानियों से लड़ना है. वो कहती हैं-

छोटी लड़कियों की शादी कर देते हैं. 13-14 की उम्र में ससुराल भेज देते हैं. कुछ ठीक रखते हैं पर ज्यादातर ध्यान नहीं देते.मेरी 14-15 साल की बेटी को ससुराल वालों ने जहर दे दिया. मैं कई जगह गई पर मुझे मदद नहीं मिली.
लेलन लुहार, इंडिपेंडेट कैंडिडेट

मंझे हुए राजनेताओं को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं ये महिलाएं

इंडिपेंडेंट कैंडिडेट राधा भील कहती हैं- अगर मैं हार भी गई तो पीछे नहीं हटूंगी. दूसरे चुनाव में हिस्सा लूंगी. अगले 5 साल में होने वाले चुनावों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी करेंगे. अब आगे बढ़ गए तो बढ़ गए. खौफ खत्म हो गया.

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