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तेल का खेल: एक्टरों से लेकर नेताओं की बोलती अब क्यों है बंद?

देश के इतिहास में डीजल अब तक के सबसे ऊंचे दाम पर पहुंच गया है

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

‘पढ़े फारसी, बेचे तेल’... लेकिन अब इस मुहावरे का भी भाव बढ़ गया है, अब कहते हैं ‘पढ़े फारसी, बेचे तेल, विपक्ष में बैठ जो करते थे हल्ला आज वो खुद हो गए फेल.’

इस कोरोना महामारी में किसी का अगर 'विकास' हुआ है तो वो है डीजल. आजादी के बाद से पहली बार पेट्रोल को पछाड़ डीजल ने इतिहास रच दिया. 2014 से पहले बीजेपी की पूरी टीम मोदी, प्रकाश जावडेकर, स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह हर कोई तेल की बढ़ी कीमत पर उस वक्त की UPA सरकार की तेल निकाल रहे थे, लेकिन अब जब तेल के दाम जनता के पॉकेट में आग लगा रही है तो एक्टरों की स्क्रिप्ट गायब है, एंकरों की स्क्रीन पर आग लापता है और नेताओं के भाषण में तेल वाला टॉपिक है ही नहीं. लेकिन जनता और हम तो पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

देश के इतिहास में डीजल अब तक के सबसे ऊंचे दाम पर पहुंच गया है. 80 रुपए के पार. एक तरफ कोरोना की मार तो दूसरी तरफ लगातार 21 दिनों तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी. पेट्रोल 9.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल 11.23 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ.

इससे पहले अक्टूबर 2018 में डीजल के दाम बढ़कर 75.69 पैसे हुई थी. जबकि उस समय कच्चे तेल की कीमत 81 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी. फिलहाल ये इससे आधे पर है.

चलिए आपको कुछ फैक्ट्स बताते हैं, 2014 लोकसभा चुनाव में महंगाई और भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा था, जगह-जगह 'बहुत हुई जनता पर पेट्रेल-डीजल की मार, अबकी बार मोदी सरकार' का नारा गूंज रहा था.नारा जीत में बदला और सरकार भी बनी. जून 2014, जब मोदी सरकार सत्ता में पहली बार आई तब कच्चे तेल की कीमत 93 डॉलर प्रति बैरल थी. तब पेट्रोल की कीमत 71 रुपए और डीजल 57 रुपए के करीब थी. उस वक्त पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी सिर्फ 10 रुपए और डीजल पर 4 रुपए के आसपास.

लेकिन अब क्रूड ऑयल की कीमत करीब 37 डॉलर प्रति बैरल है. 2014 के मुकाबले आधे से भी कम. लेकिन अब भारत में पेट्रोल और डीजल दोनों 80 रुपए प्रति लीटर को पार कर चुके हैं. यही नहीं पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 3 गुना से ज्यादा और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 8 गुना ज्यादा करीब 32 रुपए लिए जा रहे हैं.

अब इन सबके बीच सवाल ये है कि तेल का दाम बढ़ाकर किसे फायदा हो रहा है? जवाब है सरकार को. क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें अपना खजाना भरने के लिए पेट्रोल और डीजल के टैक्स पर काफी हद तक निर्भर हैं.

तेल का खेल भी आप समझ लीजिए. जो तेल आप तक पहुंचता है उसपर 60 फीसदी से भी ज्यादा आप टैक्स देते हैं. इसपर केंद्र सरकार के सेंट्रल एक्साइज टैक्स, राज्यों के वैट और डीलर कमीशन सब जुड़ने के बाद आपकी गाड़ी चलती है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल की कीमत पर 50 रुपए यानी 64 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. वहीं डीजल के दाम का 63 फीसदी टैक्स में जाता है. मतलब अभी 80 रुपए के डीजल पर करीब 49 रुपए टैक्स देना पड़ रहा है.

डीजल का दाम बढ़ना यानी किसानों पर आफत आई, आम उपभोक्ता के लिए महंगाई. लेकिन आज जब पेट्रोल डीजल में आग लगी है पेट्रोल डीजल के दाम पर एक से एक बयान देकर बयान देने वाले चुप हैं. ऐसे में अब नेताओं और फिल्मी कलाकारों के पुराने तेल के झोल वाले भाषण सुनकर जनता पूछ रही है जनाब ऐसे कैसे?

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