ADVERTISEMENTREMOVE AD

पीयूष गोयल ने नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी को लेफ्टिस्ट बताया

पीयूष गोयल ने कहा कि अभिजीत बनर्जी ने कांग्रेस की न्याय स्कीम को सपोर्ट किया लेकिन जनता ने उनकी सोच खारिज कर दी

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नोबल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को वामपंथी रुझान वाला करार दिया है. गोयल ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि वह अभिजीत बनर्जी को नोबल जीतने की बधाई देते हैं लेकिन लोग जानते हैं कि वह वामपंथी रुझान वाले हैं.

0

गोयल ने कहा

मैं नोबल प्राइज जीतने के लिए अभिजीत बनर्जी को बधाई देता हूं लेकिन आप सब जानते हैं कि उनकी सोच पूरी तरह वामपंथी रुझानों वाली है.

‘ बनर्जी के विचार को देश के लोगों ने खारिज किया’

उन्होंने कहा कि बनर्जी ने 'न्याय' (गरीबी खत्म करने के लिए कांग्रेस की योजना) को सपोर्ट किया था. लेकिन भारत के लोगों ने उनकी विचारधारा खारिज कर दी.

बनर्जी ने हाल में ही कहा था कि भारत की इकनॉमी बेहद खराब हालत मे हैं. उनका कहना था कि हाल के आंकड़ों से इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था रिवाइव करेगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कांग्रेस ने बयान को बताया 'अहंकार'

कांग्रेस ने पीयूष गोयल के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे अहंकार झलकता है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एक ट्वीट में लिखा, "तो चुनाव में जीत से नोबेल एक्सपर्ट गलत हो जाते हैं, NYAY बुरा है क्योंकि बीजेपी सत्ता में लौट आई. गजब उल्टा-पुल्टा तर्क और भयंकर अहंकार."

कोलकाता में जन्मे अभिजीत बनर्जी दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) से पासआउट हैं. बनर्जी ने साल 1983 में जेएनयू से एमए की पढ़ाई पूरी की थी.इसके बाद वह विदेश चले गए. साल 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया.अभिजीत बनर्जी को वैश्विक गरीबी खत्म करने की दिशा में काम करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने ऐसी आर्थिक नीतियों पर रिसर्च की, जो वैश्विक गरीबी को कम करने में मददगार साबित हुईं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बनर्जी ने किया था नोटबंदी का विरोध

अभिजीत बनर्जी उन प्रमुख अर्थशास्त्रियों में शामिल थे, जिन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध किया था. मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था. उस वक्त बनर्जी ने कहा था कि नोटबंदी से शुरुआत में जिस नुकसान का अंदाजा लगाया गया था, वो असल में उससे भी ज्यादा होगा.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नम्रता काला के साथ संयुक्त तौर पर लिखे गए पेपर में उन्होंने नोटबंदी की आलोचना की थी. संयुक्त रूप से लिखे गए पेपर में उन्होंने कहा था कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र को होगा, जहां से कम से कम 85 फीसदी लोगों को रोजगार मिलता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें