वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
‘’मैं देशद्रोही नहीं हूं. बाकी लोग जितना देश से प्रेम करते हैं, उतना मैं भी देश से प्यार करता हूं.’’
आदिवासी समाज के लोग एक आवाज हमेशा से उठाते रहे हैं- जंगल की जमीन हमारी है और इस पर हक सिर्फ हमारा होगा. मगर साल 2018 में इस आवाज को और मजबूत करने के लिए आदिवासी लोगों ने पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत की. इस आंदोलन में कम से कम 10 हजार लोगों के खिलाफ देशद्रोह के केस दर्ज हुए.
ऐसे में कुछ सवाल उठते हैं. मसलन क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन? क्या ये नक्सलवाद से जुड़ा है? झारखंड के विधानसभा चुनाव पर पत्थलगड़ी आंदोलन का क्या असर होगा? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब तलाशने क्विंट झारखंड के खूंटी पहुंचा.
क्विंट को इस आंदोलन पर एक शख्स ने बताया, ''हम लोग अपने हक की बात कर रहे हैं. उसके लिए आवाज उठा रहे हैं और इसी वजह से मेरे भाई को पुलिस ने 9 महीने जेल में बंद कर दिया.''
पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता, कल्याण नाग ने कहा,
‘’पत्थलगड़ी का माओवादियों से कोई संबंध नहीं है. संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासी क्षेत्र के लिए अलग प्रावधान है, लेकिन संविधान की बात को सरकार ने नहीं माना. इसलिए ये आंदोलन हुआ. ‘’कल्याण नाग, सामाजिक कार्यकर्ता
सामाजिक कार्यकर्ता, सिराज दत्ता ने कहा, ''भूमि से जुड़े कानूनों में बदलाव से आदिवासी नाराज हैं. पांचवीं अनुसूची में ग्रामसभा को जो अधिकार मिले हैं, उसे जमीन पर नहीं लागू किया गया है.'’
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