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370 हटने पर कश्मीर से ज्यादा जम्मू को घाटा - नायला खान Exclusive

नायला अली खान ने कहा- आर्टिकल 370 के साथ खत्म हुआ भावनात्मक रिश्ता

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा और मोहम्मद इरशाद

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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को 20 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी भी घाटी के कई हिस्सों में पाबंदियां लागू हैं और प्रदेश के कई नेता नजरबंद हैं. घाटी के इन हालातों पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की पोती और फारूक अब्दुल्ला की भांजी नायला अली खान ने क्विंट से खास बातचीत की. खान ने बताया कि उनके माता-पिता को भी नजरबंद किया गया, और अभी भी उनके परिवार के कई लोगों को सरकार ने नजरबंद किया हुआ है.

‘ये जम्मू और कश्मीर की स्वायत्तता और एकता की बहाली के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ने का समय है.’
नायला अली खान

एकैडमिक और लेखक नायला अली खान ने कहा कि आर्टिकल 370 इस बात की गारंटी थी कि भारत में शामिल होने के लिए कश्मीर के लोगों के साथ उनकी इच्छा के खिलाफ जबरदस्ती नहीं की जाएगी. अब आर्टिकल 370 के खत्म होने के साथ ही भावनात्मक महत्व खत्म हो गया है. कश्मीर में बहुत दर्द और गुस्सा है.

'आर्टिकल 370 हटाने से ज्यादा गलत कश्मीर को केंद्र शासित बनाना'

खान ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाए जाने से भी गलत फैसला जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना था. उन्होंने कहा कि ये शक्तियों के सेंट्रलाइजेशन का एक गलत उदाहरण है. संघीय देशों में ओवर-सेंट्रलाइजेशन कभी भी अच्छा नहीं रहा है.

परिवार को किया नजरबंद, नहीं हो पा रही बात

‘मैंने अपनी मां से केवल 5 मिनट बात की. मेरे पेरेंट्स को भी दो हफ्तों तक नजरबंद किया गया. मेरे पेरेंट्स, अंकल, कजिन, उमर, सभी भाई-बहनों को नजरबंद किया हुआ है. मैं अपने अंकल (फारूक अब्दुल्ला) से बात नहीं कर पा रही हूं. उन्हें 5 अगस्त से नजरबंद किया हुआ है और उनकी फोन लाइंस भी बंद हैं. उमर को 5 अगस्त को हरि निवास ले जाया गया और जितना मैं जानती हूं, कोई भी उनसे बात नहीं कर पा रहा है. श्रीनगर में जो परिवार है, उन्हें भी उमर से मिलने की इजाजत नहीं है.’
नायला अली खान

खान ने कहा कि कश्मीर एक कॉन्फ्लिक्ट जोन रहा है, और ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता कि कोई भी बिजनेसमैन वहां इन्वेस्ट करने का रिस्क क्यों लेगा. 'जम्मू के लोगों में ज्यादा डर है क्योंकि जम्मू, कश्मीर जितना वोलाटाइल नहीं है, इसलिए भारत के बाकी राज्यों के लोग वहां इन्वेस्ट करना चाहेंगे. इससे जम्मू के लोगों को और मुश्किल होगी क्योंकि बाहर के लोग वहां आकर उनसे मुकाबला करेंगे. उनकी जमीन खरीदेंगे.'

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