वीडियो एडिटर- संदीप सुमन और आशुतोष भारद्वाज
24 साल के प्रणय और 21 साल की अमृता. दोनों प्यार में डूबे हुए. जिंदगी को लेकर हर दिन नए सपने देखने वाला जोड़ा जो एक नई जिंदगी की आमद के इंतजार में था. लेकिन जिसके सपने झूठी शान के पैरोंं तले कुचल दिए गए.
14 सितंबर 2018 की तारीख थी वो. हैदराबाद से करीब 150 किलोमीटर दूर मिरयालगुड़ा में प्रणय की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई. प्रणय का कत्ल उनकी पत्नी अमृता के पिता ने ही किराए के गुंडों से करवाई थी. अमृता के पिता मारुति राव को अपनी बेटी का किसी दलित से शादी करना गवारा नहीं था.
प्रणय के पीछे छूट गए अमृता और उनका अजन्मा बच्चा.
अब जिस घर में अमृता रहती हैं वो उनके पिता का नहीं बल्कि प्रणय के पिता का है. इस अपराध के लिए वो अपने पिता मारुति राव को भी सजा दिलाना चाहती हैं. एक ऐसा अपराध जिसने उनसे उनका पति छीन लिया. अमृता 14 सितंबर के उस दिन के बारे में बताते हुए कहती हैं:
दरअसल, उस दिन मैं चेकअप के लिए हॉस्पिटल गई थी. जब हम वहां से लौट रहे थे तभी कोई आया और उन पर चाकू से हमला कर दिया. वो नीचे गिर गए. उनकी मौत हो चुकी थी. लेकिन मुझे इसकी जानकारी दो दिन बाद मिली.
दो महीने तक चली प्लानिंग
दो महीने की प्लानिंग, पांच मुख्य आरोपियों के बीच बैठकों का दौर, फर्जी सिम कार्ड और एक करोड़ की डील. अमृता के पिता मारुति राव ने पूरी योजना के साथ इस वारदात को अंजाम दिया. वैस्य जाति से आने वाले राव के लिए उनकी बेटी का किसी दलित से प्यार करना तथाकथित शान के खिलाफ था.
वारदात के तुरंत बाद मैंने पिता से पूछा, ‘आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?’ जवाब में उन्होंने बस इतना कहा, ‘तुम अस्पताल जाओ’. मानो इस सबसे उन्हें कोई फर्क ही न पड़ा हो.अमृता
उम्मीदें और जिंदगी
अमृता की लड़ाई जारी है. वो अपने पति के कातिलों को फांसी पर लटकता देखना चाहती है जिसमें उसके पिता भी शामिल हैं. अमृता अपने होने वाले बच्चे को धर्म और जाति से आजाद माहौल में बड़ा करना चाहती हैं.
मैं चाहती हूं कि सभी आरोपियों को फांसी हो, मेरे पिता को भी. उन्होंने गलती की और उन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए. मैं अगर अब जिंदा हूं तो सिर्फ अपने बच्चे या बच्ची को जन्म देने और उसे पालने के लिए. हम उसे एक मजबूत और निडर इंसान बनाना चाहेंगे. ठीक प्रणय की तरह. प्रणय हमेशा आत्मविश्वास से भरे रहते थे. उन्हें पता था कि उन्हें खतरा है इसके बावजूद उन्होंने मुझसे शादी की और अपनी जिंदगी मेरे साथ बांटी.अमृता
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