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ग्वालियर के स्टोन पार्क में रहने वालों के लिए ‘पत्थर दिल’है सरकार

स्थानीय लोग चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के इंतजार में...

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क्या आपने देखें है मार्बल के टुकड़ों से बने घर? ग्वालियर के स्टोन पार्क में बने हैं सैकड़ों 'स्टोन हाउस'. इस स्टोन पार्क में लोगों ने टूटे हुए पत्थरों से घर बना कर तैयार किए हैं. इनमें कई लोग मजदूर हैं तो कई कारीगर हैं.

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मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को 230 सीटों पर चुनाव होने हैं, माना जा रहा है कि ये चुनाव सीधा बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है.

क्विंट से खास बातचीत में 'स्टोन पार्क' ले लोगों ने अपनी परेशानियों से लेकर सरकार पर, जगह की अनदेखी करने तक का आरोप लगाया है. 'स्टोन परके' में रहने वाले लोगों का कहना है कि वो पिछले 10 सालों से एेसे रह रहे हैं. पत्थरों से घर बनाने के लिए उन्होंने पास की फैक्ट्री से इस्तेमाल न होने वाले पत्थर खरीद कर ये घर बनाए हैं.

‘गर्मियों में पत्थर गरम होते हैं, टिन की चादरें गरम होंती हैं दिन में रहना मुश्किल होता है और बच्चों को परेशानी होती है, लेकिन हमें रहना पड़ता है, क्या करें?’
निवासी, स्टोन पार्क, ग्वालियर
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स्थानीय लोग चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के इंतजार में...

'स्टोन पार्क' में रहने वाले लोगों की संक्या 500 के करीब है, आमदनी अच्छी न होने के कारण पत्थरों के घरों में रहने को मजबूर हैं. लोगों का आरोप है कि सरकार ने उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी हैं, जैसे बिजली-पानी और बच्चों के लिए स्कूल. लोगों का कहना है कि पार्षद से कोई मदद नहीं मिलने के कारण, उन्हें बिजली की वयवस्था खुद ही करना पड़ी है. सुविधा के नाम पर शौचालय बने हैं.

क्या ये लोग गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं?

लोगों का कहना है कि वो गैरकानूनी तरीके से इस जगह पर रह रहे हैं, लेकिन ये जगह उन्होंने खुद खरीदी है. जमीन के लिए किसी ने 50 हजार रुपये दिए हैं तो किसी ने डेढ़ लाख रुपये तक दिए हैं. लोगों के पास न राशन कार्ड है न ही मजदूर किताब, लेकिन सभी के पास आधार कार्ड है, इसमें खास बात ये है कि आधार कार्ड ‘स्टोन पार्क’ के पते पर बने हैं.

सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब ये लोग अवैध तरीके से बस रहे थे. तो बसने दिया क्यों गया? अब जब ये लोग यहां रहने लगे हैं. तो बुनियादी सुविधाएं तक क्यों नहीं दी गईं?

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