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लव जिहाद कानून: प्रिय युवा, क्या आपको प्यार करने से डर लग रहा है? मत डरिए

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून को आए 1 साल पूरे हो गए हैं.

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मेरा प्रिय छात्रों और युवा साथियों,

क्या आपको 'लाइफ इज ब्यूटीफुल' याद है? नरसंहार पर बनी एक फिल्म जिसमें एक जर्मन महिला एक यहूदी से प्यार कर बैठती है. वह शख्स मजेदार, हंसमुख संवेदनाओं और दया से भरा हुआ है. कुछ साल बाद वे अपने छोटे से बच्चे के साथ कसंट्रेशन कैंप में पहुंच जाते हैं. पिता बेटे को बच्चे को क्रूर हालातों से हफ्तों तक इमोशनली बचा कर रखता है. वह बच्चे को यह यकीन दिलाता है कि जो हो रहा है वो एक बस एक खेल का हिस्सा है.

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यह फिल्म हमें बताती है कि बच्चों बच्चों का दिमाग बेहद ही प्यारा होता है और किसी भी कीमत पर इसकी सुरक्षा जरूरी है. फिल्म के अंत में जब पिता को यह पता भी चल जाता है कि उसे गोली मार दी जाएगी तो भी वह नाटक जारी रखता है, वह अपने बेटे को डर और दर्ज नहीं, केवल मजेदार चीजें दिखाता है. बच्चे को लगता है कि वो गेम जीत गया है. अंत में एलाइड सेना कैंप में घुसती है और उसे और उसकी मां को बचाया जाता है.

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आकर्षण की जगह असहिष्णुता ने ली

व्यस्कों की दुनिया क्रूर है और उनका दिमाग कूड़ेदान की तरह है. इसमें गुस्सा, नफरत और जलन भरा है. बच्चों को देखिए, लड़कर भी कितनी आसानी से फिर एक हो जाते हैं. उनके दिमाग खजाने की तरह है, उनमें प्यार, खुशियां और प्यारी स्मृतियां भरी हैं.

नरसंहार ने हर खूबसूरत और अलग चीज के खिलाफ खुद को खड़ा किया. एक यहूदियों, कम्युनिस्टों, समलैंगिकों और विकलांगों के खिलाफ, दूसरी ओर दोस्ती, संवेदनाओं, वफादारी और प्यार के खिलाफ.

आप फिलहाल उसी समय में रह रहे हैं. हमारे देश और पूरी दुनिया में असहिष्णुता ने जिज्ञासा और आकर्षण की जगह ले ली है. दिमाग सेट है, सपने बंद है, दिल कठोर है. लेकिन अगर आप नई पीढ़ी से हो तो आपका समय आना बाकी है. अभी आपको सपने देखने हैं, उड़ानें उड़नी हैं, प्यार करना है.
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आप क्या चुनेंगे?

यूपी की ही बात कर लें, यह ''लव जिहाद'' के खिलाफ कानून लाने वाले पहले राज्यों में है. कई अन्य राज्य भी ऐसा करने वाले हैं.

यह एक ऐसा कानून है जो ''लव जिहाद'' की समस्या से निपटेगा. एक ऐसी साजिश की थ्योरी, जो बीजेपी और दक्षिणपंथियों के बीच काफी लोकप्रिय है.

इस थ्योरी के अनुसार मुस्लिम धर्मगुरु एक संगठित तरीके से कुछ मुस्लिम युवकों को दूसरे धर्म की महिलाओं से शादी के लिए प्रोत्साहित और ट्रेन करते हैं. जिससे कि उनकी संतानें मुस्लिम हों. इससे दुनिा मुस्लिमों की आबादी का दबदाबा होगा. हालांकि इस थ्योरी के पक्ष में अब तक कोई सबूत नहीं मिला है.

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महिलाओं के लिए अपमानजक कॉन्सेप्ट

यह पूरा कॉन्सेप्ट महिलाओं के लिए अपमानजनक है. क्योंकि इसमें माना जाता है कि महिलाएं अपने लिए सही फैसले नहीं ले सकती हैं और धर्म को आगे बढ़ाने के लिए केवल बच्चा पैदा करना ही उनका काम है.

लव जिहाद की थ्योरी इस डर से आती है कि बेटियों पर पितृसत्ता की पावर कहीं खत्म ना हो जाए. पितृसत्तात्मक परंपराओं में पिता के पास ही सबसे ज्यादा शक्ति होती है और वहीं फैसला करता है कि उसे अपनी बेटी किसे देनी है.
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हालांकि बदलते वक्त के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं शिक्षा ले रही हैं, वित्तीय तौर पर स्वतंत्र हो रही हैंं और बाहरी दुनिया को देख रही हैं. इसलिए वे शादी समेत अन्य विकल्पों को भी देख रही हैं. इसलिए जब बेटियां अपना पार्टनर दूसरी जातियों और धर्मों में ढूंढ रही हैं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जाति से जुड़ी पितृसत्ता घबराई हुई है.

यूपी में जिहाद कानून पास किए हुए एक साल हो गए हैं, दूसरे राज्यों ने भी पिछले साल इसका अनुसरण किया है. इन लोगों ने 'लव' और 'जिहाद' को एक साथ रख दिया है. एक मुहावरे के तौर पर कहें तो क्या आप इसको अलग कर पाएंगे?

(समीना दलवई जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, सोनीपत में प्रोफेसर हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और लेखक के विचार उनके अपने हैं. क्विंट ना इन विचारों को प्रोत्साहित करता है, ना ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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