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झारखंड चुनाव में JMM को क्यों आगे रखेगी कांग्रेस, तीन बड़ी वजहें

विपक्ष के लिए क्या है सबसे बड़ी चुनौती?

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्रहीम

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. पांच चरण में, 30 नवंबर, 7 दिसबंर, 12 दिसंबर, 16 दिसंबर और 20 दिसंबर को चुनाव होंगे. नतीजे 23 दिसंबर को आएंगे.

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद झारखंड का चुनाव रोचक हो गया है. राज्य के चुनाव में राज्य के नेता और राज्य से जुड़े मुद्दे सबसे ज्यादा अहमियत रखते हैं. इसी संदेश के मद्देनजर झारखंड में कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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विपक्ष के लिए क्या है सबसे बड़ी चुनौती?

JMM की अगुवाई में कांग्रेस के चुनाव लड़ने की तीन वजहें

झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में कांग्रेस के चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे 3 बड़ी वजहें हैं.

  • पहली वजह- डॉ. अजय कुमार के आम आदमी पार्टी में शामिल हो जाने के बाद झारखंड कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है
  • दूसरी वजह- लोकसभा चुनाव 2019 में कम सीटें लड़ने के बावजूद JMM का प्रदर्शन कांग्रेस से थोड़ा बेहतर था
  • तीसरी वजह- JMM के नेता हेमंत सोरेन, जिन्होंने झारखंड में रघुबर दास सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाला हुआ है. उनके खिलाफ केस भी डाल दिया गया है. लेकिन सोरेन झारखंड की चुनावी रणभूमि में डटे हुए हैं
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जनता से JMM के तीन बड़े चुनावी वादे

  1. OBC समाज के लिए 27%, आदिवासियों के लिए 28% और दलितों के लिए 12% आरक्षण
  2. सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण
  3. प्राइवेट नौकरियों में झारखंड के युवाओं के लिए 75% आरक्षण

विपक्ष के लिए क्या है सबसे बड़ी चुनौती?

तमाम अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीटों के बंटवारे की है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस राज्य की 25-30 सीटों पर चुनाव लड़ने में संतुष्ट है. JMM कम से कम 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. इसका मतलब है कि बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक), वामपंथी दल और राष्ट्रीय जनता दल के लिए ज्यादा सीटें नहीं बचेंगी.

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस बाबूलाल मरांडी को गठबंधन में शामिल करना चाहती है लेकिन हेमंत सोरेन पूरी तरह सहमत नहीं हैं.

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विपक्ष के सामने दूसरी बड़ी चुनौती

विपक्ष के लिए दूसरी चुनौती है उन मतदाताओं को अपनी तरफ करना, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पूरी तरह BJP का समर्थन किया था. BJP और उसके सहयोगी AJSU को झारखंड में 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और तकरीबन 55% वोट मिले थे. दूसरी ओर UPA को 2 सीट और 35% वोटों से काम चलना पड़ा था.

अगर समुदाय की बात करें तो विपक्ष को मुस्लिम, दलित और आदिवासियों समर्थन मिला था. लेकिन सवर्णों, OBC और हिंदू आदिवासियों के भारी समर्थन की वजह से BJP को बड़ी जीत हासिल हुई थी. लेकिन हरियाणा में जिस तरह लोकसभा के मुकाबले BJP के तकरीबन एक तिहाई वोट कम हो गए थे. उससे JMM और कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ी हैं.

विपक्ष का मानना है कि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत थी और विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार को घेरकर BJP को मात दी जा सकती है.

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