ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी VS मनमोहन सरकार: पेट्रोल-डीजल पर किसने रुलाया?

साल 2021 में अब तक तेल की कीमतें 19 बार बढ़ाईं गई हैं. इस दौरान पेट्रोल 5.28 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है.

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा

कैमरा- शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर- पूर्णेंदु प्रीतम

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पेट्रोल सेंचुरी लगाने को तैयार है. LPG गैस ने भी फ्रेश फिफ्टी मारी है. और डीजल महंगाई के साथ बढ़िया साझेदारी कर रहा है. और दर्शक दीर्घा में दर्शक यूं गुमसुम बैठा जैसे विपक्षी टीम की बैटिंग के साथ चुप्पी होती है. उधर जो नेता पांच छह साल पहले तेल में थोड़ी सी हलचल पर भूचाल ला देते थे वो चुप हैं. आग में जरा धुआं उठा नहीं कि आग लगाने वाले चैनल चुपचाप हैं. ऐसे में पब्लिक तो पूछेगी जरूर.. जनाब ऐसे कैसे?

कोरोना लॉकडाउन से बाहर निकले ही थे कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने गाड़ी छोड़ वापस घर में रहने को मजबूर कर दिया है. देश के कई हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटिर के करीब है. साथ ही आपके किचन वाले गैस सिलेंडर के दामों में भी बड़ा इजाफा हुआ है. LPG मतलब रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा हो गया है, दिल्ली में इसकी कीमत 769 रुपये हो गई है.

पहले तेल देखिए, तेल की धार देखिए, आम आदमी की जेब के आरपार देखिए.

0
साल 2021 में अब तक तेल की कीमतें 19 बार बढ़ाईं गई हैं. मतलब 45 दिन में 19 बार कीमतों में इजाफा. इस दौरान पेट्रोल 5.28 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है. 15 फरवरी 2020 से 15 फरवरी 2021 के बीच पेट्रोल 17.05 रुपये प्रति लीटर और डीजल 14.58 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है.

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद तेल की कहानी

क्रूड ऑयल, जिसके नाम पर तेल का दाम फिक्स होने की बात कही जाती है उसे भी समझते हैं.

जून 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में पहली बार आई तब कच्चे तेल की कीमत ग्लोबल मार्केट में 93 डॉलर प्रति बैरल थी. तब पेट्रोल की कीमत 71 रुपए और डीजल 57 रुपए के करीब. लेकिन करीब 7 साल बाद कच्चे तेल का दाम 30 डॉलर कम होकर 63 डॉलर प्रति बैरल पर हैं फिर भी पेट्रोल सेंचुरी बना रहा है और डीजल उसे ही चेज कर रहा है.

अब कहानी घर-घर की

दिसंबर 2020 से लेकर अबतक बिना सब्सिडी के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 175 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दी गई है. पहले 4 फरवरी को बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 25 रुपए महंगा हुआ था, और अब 50 रुपए. वहीं जनवरी 2021 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने LPG की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया था. लेकिन दिसंबर 2020 में दो बार 50-50 रुपए की तेजी आई थी.

चलिए गैस से लेकर तेल पर कुछ पुराने पन्ने पलटते हैं, और उन लोगों से मिलवाते हैं, जिनके लिए पेट्रोल-डीजल, गैस की कीमत मुद्दे हुआ करते थे.

बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर जब सत्ता में नहीं थे तब उन्होंने 07 नवंबर 2011 को कहा था,

“हम चैलेंज करते हैं सरकार को, दिल्ली में पेट्रोल 34 रुपए मिल सकता है, मुंबई में 36 रुपए मिल सकता है तो उसके दोगुने दाम क्यों हैं.. ये लूट है, और जो कीमतें बढ़ाई हैं उसे तुरंत वापस लेनी चाहिए..”

अब ताजा-ताजा मंत्री बने शाहनवाज हुसैन की बात पढ़िए. शाहनवाज हुसैन ने 17 सितंबर 2011 को कहा, "पहले ही उन्होंने रसोई गैस के दाम 50 रुपए बढ़ाए थे, अब रसोई गैस के दाम वो नहीं बढ़ाएं, अगर उन्होंने रसोई गैस के दाम बढ़ाए तो संसद से सड़क तक इस मुद्दे को हम उठाएंगे. और सरकार को मजबूर करेंगे"

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तेल की धार से जनता में हाहाकार, लेकिन मजे में सरकार

जब पेट्रोल डीजल को मुक्त बाजार के हवाले किया गया था तो कहा गया था कि इससे आम आदमी को फायदा मिलेगा, लेकिन फायदा मिला सिर्फ सरकार को.

इंटरनेशनल मार्केट में दम गिरे लेकिन पब्लिक तक फायदा पहुंचा ही नहीं. जनवरी 2020 की तुलना में, जनवरी 2021 में पेट्रोल का रेट करीब 13.6 फीसदी ज्यादा है, जबकि इस दौरान ब्रेंट क्रूड का भाव करीब 14 फीसदी कम रहा है. यानी ड्यूटी डायन ने खाय जात है.

पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को 19 रुपए 98 पैसे से बढ़ाकर 32. रुपए 98 पैसे कर दिया है. वहीं डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 15 रुपए 83 पैसे से बढ़ाकर 31.83 रुपये पर पहुंचा दिया गया है.. यानी डबल..

एक्साइज ड्यूटी से सरकार की कमाई

अब अगर साल 2014 की बात करें जब बीजेपी सत्ता में आई थी, तो और भी चौंकाने वाली बात सामने आएगी. 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये था, और डीजल पर सिर्फ 3.56 रुपये. मतलब 7 साल में डीजल पर 10 गुना टैक्स और पेट्रोल पर करीब 4 गुना.

केन्द्र सरकार ने 14 मार्च 2020 को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 3 रुपये का इजाफा किया था. फिर 5 मई को पेट्रोल पर 10 रुपया और डीजल पर 13 रुपये बढ़ाये. इन दो इजाफे से ही केंद्र सरकार को दो लाख करोड़ की अतिरिक्त आय हुई.

पेट्रोल, डीजल, गैस सबके दाम पहले भी बढ़े थे, अभी भी बढ़ रहे हैं, बस फर्क इतना है कि पहले सवाल होता था, विरोध होता था, अब डिफेंड करने के लिए अजब-गजब लॉजिक दिए जा रहे हैं. लेकिन जिनका घर लॉजिक से नहीं सीमित पैसों में चलता है वो और हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे केसै?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×