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Prayagraj Hospital Case: क्या प्रयागराज खून के जालसाजों की पनाहगाह बन रहा है?

Prayagraj Police ने बड़ा खुलासा किया और फर्जी प्लेटलेट्स बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) में डेंगू से जूझ रहे एक मरीज की मौत के बाद चौंकने वाले खुलासे सामने आए हैं. मरीज के परिजनों का आरोप है कि मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की जगह मौसमी का जूस चढ़ा दिया गया. मृतक के रिश्तेदार सौरभ त्रिपाठी ने कहा कि हमने अपने डेंगू मरीज को प्रयागराज के ग्लोबल हॉस्पिटल में एडमिट करवाया था. डॉक्टरों ने 8 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग की. इसके बाद मैंने किसी तरह से प्लेटलेट्स खरीदा और मरीज के शरीर में चढ़ाने के लिए दिया गया.

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उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद हमारे मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाया गया और चढ़ाने के बाद ही पूरी शरीर में अजीब तरह के स्पॉट्स पड़ने लगे, जिसके बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने मुझे रेफर कर दिया कि आप किसी दूसरे हॉस्पिटल में जाइए, इनकी हालत बहुत नाजुक है.

इसके बाद हम लोग दूसरे हॉस्पिटल में आए और वहां पर एडमिट होने के बाद वहां के डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह का फ्रॉड किया जा रहा है. कहीं मौसमी का जूस, तो कहीं केमिकल मिलाकर दिए जा रहे हैं.
सौरभ त्रिपाठी, मृतक के रिश्तेदार
घटना के एक दिन बाद पुलिस ने बड़ा खुलासा किया और फर्जी प्लेटलेट्स बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया.

प्लेटलेट्स के नाम पर मनमाना पैसा

डेंगू के बढ़ते कहर के बीच ब्लड बैंक पहुंचने वाले मरीजे के लिए परिजनों के निशाना बनाते थे और फर्जी प्लेटलेट्स के नाम पर मनमाना पैसा वसूला जाता था.

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प्रयागराज एसएसपी शैलेश पांडे ने कहा कि मुखबिर से सूचना मिलने के बाद दस लोगों का एक गिरोह पकड़ा गया है, जो प्लेटलेट्स के नाम पर प्लाज्मा की सप्लाई कर रहा था. ये लोग ब्लड बैंक से प्लाज्मा ले लेते थे और उसके बाद उसको अलग-अलग पैकेट्स में ट्रांस्फर करके प्लेटलेट्स की फर्जी स्टीकर चिपकाकर जरूरतमंदों से मनमानी कीमत वसूलकर नकली प्लेटलेट्स बेच देते थे.

कुछ दिनों पहले प्रयागराज पुलिस ने अवैध रक्त तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया था. गिरोह के बारह लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

प्रयागराज सिटी के एसपी संतोष कुमार मीणा ने कहा कि ये एक ब्लड सप्लाई का बड़ा रैकेट पकड़ा गया है, इसमें कुल बारह लोग पकड़े गए हैं. इनका जो मुख्य सरगना है वो मोहम्मद शान के नाम से है. इनके द्वारा जो गरीब ई-रिक्शॉ और ऑटो ड्राइवर हैं उनको ऑफर दिया जाता था.

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान भी अवैध और फर्जी दवाईयां बेचने और काला बाजारी करने वाले गिरोहों ने व्यापक पैमाने पर लोगों को निशाना बनाया था.

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