रात के 2:00 बज रहे थे और 'मेरा रंग दे बसंती चोला' राजधानी के शाहीन बाग में दूर से ही गूंज रहा था, जहां लोग CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. गीत, पेंटिंग और अन्य माध्यम से लोग सरकार और इस कानून के खिलाफ एक रचनात्मक विरोध भी कर रहे हैं. क्विंट ने तीन संगीतकारों - सुमित रॉय, पूजन साहिल और अरमान यादव के साथ शहीन बाग से खुरेजी और जेएनयू तक यात्रा की. हमने उनसे प्रोटेस्ट रैप और गाने लिखने की प्रक्रिया के बारे में बात की, उनसे जाना की वो देश के हालात के बारे में क्या सोचते हैं, और क्यों लिखते हैं.
रैपर, पेंटर, विजुअल आर्टिस्ट सुमित रॉय अपने रैप के जरिए कह रहे हैं कि
शहीदों के सपने हम जीते हैं
धर्मों के पन्नों में फीते हैं
बंधे सारे एक ही किताब में
फिर बांटे क्यों जाते ये, खाते ये
वोटों और फोटो के पीछे क्यों भागे ये
प्रचारों में झूठे वादे मांगे सीटें ये सारे
हम किसके सहानुभूति के सहारे?
सुमित ने अपना पहला गाना 2017 में रिलीज किया था जो कि नोटबंदी, नफरत की पॉलिटिक्स और भारत की गंभीर समस्याओं पर आधारित था.
रैपर अरमान भी अपने गानों के जरिए देश की समस्याओं से लोगों को रूबरू कराते हैं.
हम आपस में सारे सहमत हैं लेकिन हम इस इको चेंबर से बाहर निकल कर उन तक कैसे पहुंचे? और मुझे लगता है कि हम ये ढूंढने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.अरमान, रैपर
अरमान यादव अशोका यूनिवर्सिटी से लिटरेचर की पढ़ाई कर रहे हैं. लिखने का शौक रखने वाले अरमान ने कविता पढ़ने से इस सफर की शुरुआत की थी.
पूजन एक मैथ टीचर हैं, गिटार बजाते हैं. केरल बाढ़, धारा 377, फेक न्यूज पर 'पैरोडी गाने' लिखने से लेकर कई गानों से पूजन ने सत्ता के खिलाफ अपनी असहमति दर्ज कराई है.
कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटाए जाने और JNU में फीस बढ़ोतरी को लेकर पूजन ने 'बेला चाओ' गाना हिंदी में बनाया.
अरमान, पूजन, सुमित और बाकी लोग अपने शब्दों और संगीत के साथ इन प्रदर्शनों को आवाज दे रहे हैं. सोशल मीडिया, विरोध प्रदर्शनों और कई अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रोटेस्ट गाना गाने वाले इन लोगों का मिशन एक ही है- बदलाव लाना.
प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी
कैमरा: मुकुल भंडारी
एडिटर: कुनाल मैहरा
एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: रितु कपूर, रोहित खन्ना
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)