वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम
खालसा के संस्थापक, गुरु गोविंद सिंह का जन्म 1666 में माता गुजरी और नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह के घर हुआ था. नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक आमतौर पर जनवरी में गुरु जी का जयंती मनाई जाती है.
मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर उनके पिता का सिर कलम कर दिया गया था. जिसके बाद नौ साल की उम्र में उन्हें दसवें सिख गुरु की उपाधि मिली.
1699 में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा की स्थापना की. बैसाखी के दिन, उन्होंने सिखों को पंजाब के आनंदपुर में इकट्ठा होने के लिए कहा.वहां उन्होंने उनसे पूछा कि क्या कोई स्वयंसेवक अपना सिर दे सकता है. एक शख्स सामने आया. गुरु उसे तम्बू में ले गए और खून से सनी तलवार लेकर बाहर आए. उन्होंने चार बार यही प्रक्रिया दोहराई. पांचवें के बाद गुरु बाहर आए. पांचों लोग जिंदा पाए गए. उनके बदले तंबू में सिर कटी पांच बकरियां पड़ी हुई थी.
इन पांचों को ‘पंज प्यारे’ नाम से संबोधित किया गया. उन्हें गुरु गोविंद सिंह ने 'अमृत संचार' समारोह में दीक्षा दी और 'सिंह' यानी शेर की उपाधि से सम्मानित किया.
इसके बाद उन्होंने 5 ‘क’ के महत्व को समझाया:
- केश
- कंघा
- कृपाण
- कच्चेरा
- कड़ा
गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों के सबसे पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया.
उन्होंने ही 1699 में 'खालसा वाणी' दी, "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह"
योद्धा, कवि और विचारक गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ ऐतिहासिक 'चमकौर का युद्ध' लड़ा. 40 सिखों ने वजीर खान के नेतृत्व वाले कई लाख मुगल सैनिकों से लोहा लिया. उनकी तीन पत्नियां और चार बेटे थे, जिनमें से सभी मुगल-सिख युद्धों में मारे गए . औरंगजेब को भेजे उनके खत 'जफरनामा' की आज भी मिसाल दी जाती है.
ऐसा माना जाता है कि नवाब वजीर खान के आदेश पर गुरु की हत्या कर दी गई थी, जिसकी सेना के खिलाफ उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी थीं. खान ने जमशेद खान और वासिल बेग नाम के दो अफगान लोगों को गुरु को मारने के लिए नियुक्त किया था. दोनों महाराष्ट्र के नांदेड़ में उनके डेरे तक पहुंचने में कामयाब रहे और उनकी हत्या कर दी. 7 अक्टूबर 1708 को उनका निधन हुआ था.
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