वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
40 साल के अनीस मलिक, 2006 से पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में एक छोटी ट्रैवल एजेंसी चला रहे हैं. 5 साल पहले, उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की क्षमता खो दी क्योंकि उनकी रीढ़ पर गोली लगी थी.
17 दिसंबर को जाफराबाद और सीलमपुर के निवासियों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध मार्च का आयोजन किया था. चश्मदीदों का कहना है कि कुछ उपद्रवी इस मार्च में शामिल हो गए और एक बस पर पथराव शुरू कर दिया जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कदम उठाने पड़े.
लेकिन अनीस ने हमें एक वीडियो दिखाते हुए कहा कि खुद पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के बाद उनकी दुकान के शटर खोले और खिड़की के शीशे तोड़ दिए, उनका डेस्कटॉप और प्रिंटर भी तोड़ दिया गया.
“उन्होंने डीवीआर भी ले लिया, कम से कम 50,000 रुपये से 60,000 रुपये का नुकसान हुआ. मैंने इमरजेंसी नंबर 100 पर कॉल किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई. ”अनीस मलिक
अनीस ने कहा कि जब ये घटना हुई तब किसी ने कॉल कर उन्हें सतर्क किया था, तब वो अपनी दुकान पर नहीं थे. उनके दुकान से उन्हें पुलिस की लाठी के टुकड़े भी मिले हैं.
मलिक के वकील, ओमकार सिंह, जो कड़कड़डूमा कोर्ट में अपनी ओर से मामला दायर करेंगे, उनका कहना है कि अभी तक पुलिस ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है.
अनीस को उम्मीद है कि उन्हें हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी. सबूत के तौर पर पड़ोसियों के शूट किए गए कई वीडियो उनके पास मौजूद हैं, जिन्हें छतों पर छिप कर लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया था.
ऐसे ही एक वीडियो में पुलिस को अनीस के ऑफिस के अंदर घुसते हुए, उनके 2 स्टाफ को घसीटते हुए और डंडों से पीटते हुए देखा जा सकता है.
द क्विंट ने दिल्ली पुलिस से प्रतिक्रिया मांगी है, लेकिन अभी तक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
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