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Super Century:भारत चीन को ‘कभी दोस्त-कभी दुश्मन’ की तरह ट्रीट करे 

भारत को चीन के साथ  ‘frenemy’ (जो बुनियादी दुश्मनी के बावजूद दोस्त की तरह व्यवहार करे) की तरह व्यवहार करना चाहिए,

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वीडियो प्रोड्यूसर: सोनल गुप्ता

कैमरापर्सन: त्रिदीप मंडल, सुमित बडोला, अभिषेक रंजन

वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

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क्या चीन पर कभी भरोसा किया जा सकता है? दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में, ये वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ हो सकता है, लेकिन उसको समझना मुश्किल है. वो आक्रामक है और किसी झगड़े में, चाहे वो व्यापार से जुड़ा हो या फिर सीमा विवाद का मामला हो, अपने बनाए नियमों को ही मानता है.

लेकिन मेरा मानना है कि हमें चीन के साथ  ‘frenemy’ (जो बुनियादी दुश्मनी के बावजूद दोस्त की तरह व्यवहार करे) की तरह व्यवहार करना चाहिए, जैसा ये है: जब संभव हो तो गले लगें, होशियारी दिखाने पर नजरअंदाज करें और जब बहुत जरूरी हो, तभी भिड़ें.

ये सब मेरी नई किताब में है.

सुपर सेंचुरी: व्हॉट इंडिया मस्ट डू  टू राइज बाई 2050 (Super Century: What India Must Do To Rise By 2050)

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लेखक को जानें

राघव बहल एक लेखक, एडिटर, ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्‍ट और उद्यमी हैं. नेटवर्क 18 के फाउंडर के तौर पर अपनी पहली पारी में उन्होंने दो मीडिया कंपनियों को एकदम शुरुआत से खड़ा किया, जिनमें से हरेक की कीमत एक बिलियन डॉलर से ज्यादा थी. उन्होंने प्रतिस्पर्धी मीडिया दिग्गजों के साथ कामयाब साझेदारियां कीं, जिनमें ब्लूमबर्ग, CNN, Viacom, CNBC, A&E Networks और Forbes शामिल थे.

अपनी दूसरी पारी में उन्होंने भारत में क्विंट के साथ डिजिटल / मोबाइल-फर्स्ट जर्नलिज्म की पहल की. उनके कॉलम और वीडियो ब्लॉग को युवा बड़ी लगन से फॉलो करते हैं.

उनकी पहले की दो किताबें बेस्टसेलर रही हैं :

  • 'सुपरपावर? द अमेजिंग रेस बिटविन चाइनाज हेर एंड इंडियाज टॉरट्वाइज' (SuperPower? The Amazing Race between China’s Hare and India’s Tortoise)
  • 'सुपरइकनॉमिज: अमेरिका, इंडिया, चाइना एंड द फ्यूचर ऑफ द वर्ल्ड' (SuperEconomies: America, India, China and the Future of the Wolrd)

उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकनाॅमिक्स ऑनर्स की डिग्री ली और दिल्ली यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया है.

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