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सुन लो!नस्लभेद ने निडो तानिया को मार डाला,अब दूसरों को न मरने दो  

नाइजीरिया की रहने वाली 22 साल की स्टेफनी नस्लभेद पर दे रही हैं ये सीख

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  • वीडियो एडिटर्स: पुनीत भाटिया, कुनाल मेहरा
  • कैमरा: अभिषेक रंजन, सुमित बडोला
  • स्क्रिप्ट: त्रिदीप के मंडल, तरुण जैन
  • नैरेटर: स्टेफनी
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देशभर में नॉर्थ-ईस्ट इंडियंस के खिलाफ हो रहे भेदभाव को जानना हो, तो निडो तानिया का केस जानिए. 29 जनवरी 2014 को निडो की मौत हो गई थी. उसे दिल्ली के लाजपत नगर मार्केट में बेरहमी से पीटा गया था, जिसके बाद उसके फेफड़े और दिमाग पर गहरे घाव हो गए थे. ऐसा बताया जाता है कि दुकानदार ने निडो तानिया पर नस्लभेदी टिप्पणी की थी, जिसके बाद हुई बहस आखिर में निडो तानिया की मौत के बाद खत्म हुई. उसे लोहे की रॉड से पीटा गया था.

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निडो की मौत के 5 साल हो चुके हैं, और आज भी हम ये नहीं कह सकते कि भारत में नस्लभेद पूरी तरह से खत्म हो चुका है. अफ्रीका से भारत पढ़ने आए छात्रों से लेकर अपने ही देश के नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लोगों पर आए दिन नस्लीय टिप्पणियां होती हैं. ऐसे में 22 साल की स्टेफनी आपके लिए कुछ मैसेज देना चाहती हैं.

स्टेफनी नाइजीरियाई मूल की हैं, लेकिन पली-बढ़ी दिल्ली में हैं. दिल्ली के स्कूलों में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद वो ग्रेटर नोएडा के कॉलेज में पढ़ रही हैं. इस वीडियो में वो हिंदी में बता रही हैं कि भारत में उन्हें कैसे नस्लभेद का सामना करना पड़ता है.

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