काश मैं लड़की नहीं डायरी होती....
बुलबुल,1 मार्च, 2017
मेरी प्यारी डायरी, तुझपर मैं हमेशा अपनी जिंदगी के अच्छे और बुरे पल लिखती रही हूं, लेकिन आज तुमसे कुछ सवाल करती हूं, क्या तुम्हें भी डर लगता है, जैसे मुझे लगता है. क्या तुम्हारे यहां भी जात, धर्म, औरत-मर्द होते हैं?
डायरी तुम किस्मत वाली हो जो लड़की नहीं हो, न जाने क्यूं क्लास के लड़के, रोड पर चलते लोग, पड़ोस में रहने वाले अंकल, यहां तक कि हमारे टीचर भी लड़कियों को घूरते हैं, अगर गलती से किसी लड़के पर नजर चली गयी तो उसे लगता है कि जैसे लड़की ने उसे देखा है इसका मतलब है वो उसे प्यार करती है, पट जाएगी, अब लड़की का मोबाइल नंबर लेने की कोशिश, लड़कियों का बाइक से, कार से पीछा करना. ये सब रोज होता है.
अब मैं या मेरे क्लास की लड़कियां किसे बोलें? मैं तो तुझे बोलकर अपना मन हल्का कर लेती हूं मगर डरती हूं कि कहीं किसी दिन मैं भी किसी निर्भया की तरह घर न पहुंच पायी तो...कैसे बताऊंगी तुझे कि क्या हुआ था?
मेरी प्यारी डायरी तू तो सब जानती है कि बहुत सारी मुश्किलों के बाद मेरा एडमिशन हो पाया, मैं बहुत खुश हूं. लेकिन सब खुश नहीं हैं. मां, पापा यहां तक कि मेरा छोटा भाई भी मुझे देखना नहीं चाहता है, मुझसे बात नहीं करना चाहता है. गलती सिर्फ इतनी थी की मुझे प्यार हो गया था वो भी दूसरे धर्म के इंसान से, मैं क्या करूं डायरी? उससे मिलने के बाद मुझे उसकी हर बातें अच्छी लगने लगीं, उसकी सोच, लड़कियों के लिए रिस्पेक्ट, सच में परफेक्ट है वो मेरे लिए.
ऐसा नहीं है कि मां-पापा, मुझसे प्यार नहीं करते, लेकिन वो अपने आस-पास बसे इस झूठे समाज को ज्यादा वैल्यू देते हैं. चाची मुझे हमेशा टोकती रहती हैं कि अब बड़ी हो गयी है, जीन्स-टॉप नहीं पहनो, दुपट्टा रखो, बाहर नहीं जाओ, etc.. ये सब तो मैं भी समझती हूं क्योंकि उम्र के साथ-साथ मेरा दिमाग भी तो बढ़ा है.
क्या तुझे भी मेरी तरह डर लगता है कि कहीं कोई आवारा तेजाब न फेंक दे
डायरी तू तो मेरे साथ कॉलेज भी जाती है, घर में भी रहती है, क्या तुझे भी मेरी तरह डर लगता है कि कहीं कोई आवारा तेजाब न फेंक दे, भद्दा मजाक न कर दे, जबरदस्ती मिलने के लिए न कहे, चोरी छिपे हमारी फोटो न खींच लें और बाद में कहता फिरेगा की लड़की ने उसे अपनी फोटो दी है. पट गई, सेटिंग है.
अपने दोस्तों को कहता फिरेगा भाभी है तेरी. और न जाने क्या-क्या.
मेरे पास तो बंटी है जो मुझे हमेशा प्रोटेक्ट करता है, लेकिन हर किसी के पास बंटी जैसा प्यार नहीं होता जो उसे प्रोटेक्ट करे और क्यूं हमें किसी के प्रोटेक्शन की जरूरत है? हम क्यूं नहीं लड़कों की तरह आजाद रह सकते हैं, घूमना, हंसना, बोलना, पढ़ना, जीवन साथी चुनने का हक हमें भी होना चाहिए.
अब मैं किसे बताऊं कि मेरे क्लास में पढ़ने वाला सिद्धार्थ मुझे watsapp पर मैसेज करता है, मेरे लाख मना करने पर, उसका नंबर ब्लॉक करने पर भी वो नहीं समझ रहा कि मैं उससे नहीं बात करना चाहती. इस बार तो हद ही हो गयी, मुझे ये बोलना पड़ा कि मेरी शादी हो गयी है तब जाकर उसने मेरा पीछा छोड़ा. मैसेज और कॉल की प्रॉब्लम तो ठीक हो गयी, लेकिन उन सोच का क्या करूं जो हर टाइम हमारा शिकार करना चाहती हैं?
डायरी अब मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रही हूं लेकिन एक बात कहूं "काश मैं लड़की नहीं डायरी होती".
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